भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास इस साल निपटान अपीलों की संख्या काफी बढ़ गई है। 2024-25 में सेबी को कुल 703 निपटान आवेदन मिले। यह पिछले साल यानी 2023-24 के मुकाबले बहुत ज्यादा है, जब केवल 434 याचिकाएं मिली थीं। इसका मतलब साफ है कि लोग अब लंबी कोर्ट-कचहरी में नहीं उलझकर, सीधे सेबी के साथ मामले सुलझाना चाहते हैं।
कितनों का हुआ निपटारा, कितनों की याचिका लौटी?
सेबी की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 703 में से 284 मामलों का निपटारा कर दिया गया। वहीं 272 आवेदन या तो वापस कर दिए गए, खारिज हो गए या खुद ही वापस ले लिए गए।
निपटान तंत्र इकाइयों को लंबी मुकदमेबाजी में उलझे बिना, निपटान शुल्क का भुगतान करके और कुछ शर्तों का अनुपालन करके SEBI के साथ मामलों को सुलझाने की अनुमति देता है।
करोड़ों की वसूली
इन 284 निपटाए गए मामलों से सेबी को 798.87 करोड़ रुपये निपटान शुल्क के तौर पर मिले। इतना ही नहीं, 64.84 करोड़ रुपये की गलत कमाई भी वापस ली गई।
किन नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई हुई?
जिन मामलों में निपटान हुआ, उनमें आरोप थे:
- भेदिया कारोबार (Insider Trading)
- धोखाधड़ी और फर्जी ट्रेडिंग
- म्यूचुअल फंड, AIF और FPI नियमों का उल्लंघन
अपीलों का हाल
सिर्फ निपटान ही नहीं, बल्कि सेबी से जुड़े 533 नए अपील मामले भी 2024-25 में सिक्योरिटी अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के पास दाखिल हुए। ये पिछले साल 821 अपीलों की तुलना में कम हैं। इनमें से 422 मामलों का निपटारा हो गया।
308 अपीलें खारिज (73%)
23 अपीलें स्वीकार (5%)
42 अपीलें संशोधन के साथ बरकरार (10%)
21 अपीलें वापस भेजी गईं (5%)
28 अपीलें वापस ली गईं (7%)
ज्यादातर यानी लगभग 62% अपीलें धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार (PFUTP नियम, 2003) से जुड़ी थीं।
वसूली में मुश्किल
रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी का DTR (Difficult to Recover) बकाया भी बढ़कर 77,800 करोड़ रुपये हो गया है। मार्च 2024 के आखिर में यह 76,293 करोड़ रुपये था। यानी लाख कोशिशों के बावजूद इतनी बड़ी रकम वसूल नहीं हो पा रही है।
सेबी पर भरोसा बढ़ रहा है और कंपनियां अब अदालत के चक्कर काटने की बजाय सीधे निपटान का रास्ता चुन रही हैं। मगर दूसरी ओर, अभी भी हजारों करोड़ की वसूली अटकी हुई है। आने वाले समय में सेबी के कदम इस दिशा में बेहद अहम होंगे।
Source: Mint