पांडे ने कहा, “हमें डेरिवेटिव्स सेगमेंट में कुछ सुधारों की ज़रूरत है, लेकिन वे सुधार क्या होंगे, उनकी प्रकृति क्या होगी और उन्हें कैसे किया जाएगा, ये सभी तय करने से पहले हम हमारी परंपरा के अनुसार हम हमेशा बाज़ार के साथ इस पर चर्चा करते हैं. जब भी हम ऐसे ठोस उपायों की योजना बनाएंगे, हम बाज़ार को सूचित करेंगे और पहले की तरह विचार-विमर्श के लिए खुलकर सामने आएंगे.
नियामक संस्था के प्रमुख ने एसोसिएशन ऑफ पोर्टफोलियो मैनेजर्स इन इंडिया (एपीएमआई) के वार्षिक सम्मेलन के मौके पर बोलते हुए कहा कि इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में स्टृक्चरल रिफॉर्म की आवश्यकता है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि वीकली ऑप्शन एक्सपायरी के संबंध में सेबी और वित्त मंत्रालय के बीच कोई संवाद नहीं हुआ है. मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि वित्त मंत्रालय और सेबी ऑप्शन मार्केट में सट्टेबाजी को कम करने और कैश मार्केट में कारोबार बढ़ाने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं. उनकी टिप्पणियों के बाद बीएसई के शेयर बुधवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट के बाद बेहतर होकर 2388 रुपए के लेवल पर बंद हुए.
एपीएमआई कार्यक्रम में सेबी चेयरमैन ने कहा कि इंडस्ट्री बॉडी के अनुरोध पर नियामक ने कस्टोडियन, डिपॉजिटरी और अन्य बाजार सहभागियों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक गुप बनाया है.
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री को कुछ रजिस्टर्ड पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा किए जा रहे भ्रामक दावों पर अंकुश लगाना चाहिए क्योंकि इस तरह के भ्रामक दावे विश्वास को कम करते हैं. पांडे ने कहा कि आपके क्लाइंट के साथ कम्यूनिकेशन स्पष्ट होना चाहिए. अस्पष्टता को दूर करें, परफॉर्मेंस के दावों को जिम्मेदारी से बताएं और किसी भी रणनीति में बदलाव को औपचारिक रूप से दर्ज करें.
Source: Economic Times