नवंबर में LIC ने बॉन्ड डेरिवेटिव्स बाजार में प्रवेश करने की योजना का एलान किया था और इस साल की शुरुआत में कुछ छोटे सौदे किए थे.
तब से कंपनी ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. मई के बाद से 2.6 अरब डॉलर के कुल FRA वॉल्यूम में LIC के हालिया सौदों की हिस्सेदारी 38% है. Clearing Corp. of India की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा से भी इस बारे में जानकारी मिलती है.
FRAs क्यों तेजी से लोकप्रिय हो रहे?
यह ग्रोथ भारत के वित्तीय संस्थानों की बढ़ती परिपक्वता को दर्शाती है. जैसे-जैसे भारतीय परिवार वित्तीय बाजारों में निवेश बढ़ा रहे हैं, LIC जैसी बीमा कंपनियां अलग-अलग निवेश और जोखिम प्रबंधन विकल्पों की मांग कर रही हैं. LIC करीब 630 अरब डॉलर के एसेट को मैनेज करती है. FRAs खास तौर पर लोकप्रिय हो रहे हैं. ये बीमा कंपनियों को भविष्य के बॉन्ड यील्ड को लॉक करने और ब्याज दरों में कमी से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं.
FRA क्या है?
FRA में एक बीमा कंपनी एक तय कीमत पर भविष्य में बॉन्ड खरीदने के लिए सहमत होती है. दूसरा पक्ष, आमतौर पर एक बैंक, बॉन्ड की कीमत में बदलाव का जोखिम लेता है और इसके बदले प्रीमियम हासिल करता है. इस जोखिम को मैनेज करने के लिए बैंक अक्सर लंबी अवधि के बॉन्ड खरीदते हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के आधार पर होते हैं.
लंबी अवधि के बॉन्ड की मांग बढ़ी
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि LIC की इस बाजार में बढ़ती गतिविधि ने लंबी अवधि के बॉन्ड की मांग को बढ़ाया है. Bloomberg के डेटा के अनुसार, हाल की दो नीलामियों में इन बॉन्ड्स के लिए बोली-कवर अनुपात वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से शुरू) में सबसे अधिक रहा है.
Source: CNBC