टेक्निकल एक्सपर्ट की राय
Paytm के शेयरों बोनांजा पोर्टफोलियो के टेक्निकल एनालिस्ट ध्रूमिल विठलानी कहते हैं कि पेटीएम शेयर इस समय 1020 रुपए और 1030 रुपए के जरूरी रेजिस्टेंस जोन के करीब पहुंच चुके हैं। यह जोन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि 2024 के दिसंबर महीने से इसी लेवल से पेटीएम शेयरों में बड़ी सेलिंग शुरू हो गई थी। पेटीएम शेयर में एक स्टेबल तेजी के मजबूत संकेत दिखाई दे रहे हैं क्योंकि शेयर लगातार हायर हाई हायर लो पैटर्न बना रहा है।
एनालिस्ट विठलानी सुझाव देते हैं कि मौजूदा पेटीएम शेयर होल्डर्स को 980 रुपए के लेवल पर स्टॉप लॉस लगा करके इस शेयर को आगे भी होल्ड करना चाहिए। केवल ध्यान यह रखें की शेयर ब्रेकआउट जोन के ऊपर खुद को बनाए रखें। वहीं ट्रेडर्स को जून क्वार्टर रिजल्ट आने से पहले वेट एंड वॉच की स्ट्रैटेजी को फॉलो करना चाहिए।
दूसरे टेक्निकल एनालिस्ट की राय
चॉइस ब्रोकिंग के टेक्निकल एनालिस्ट हार्दिक मतालिया पेटीएम शेयर पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि लंबे समय से शेयर कंसोलिडेशन के जोन में बना हुआ था लेकिन अब शेयर में स्ट्रांग बुलिश मोमेंटम देखा जा रहा है। पेटीएम शेयर के वीकली चार्ट पर कप एंड हैंडल पैटर्न और मंथली चार्ट पर इनवर्टेड हेड एंड शोल्डर पैटर्न बना रहा है। यह दोनों पैटर्न तेजी के संकेत के पैटर्न के तौर पर देखा जाता है एनालिस्ट्स का मानना है कि यह शेयर 1700 रुपए के ऊपर तक जा सकता है।
एनालिस्ट आगे कहते है कि पेटीएम शेयर 20 दिन, 50 दिन, 100 दिन और 200 दिन के एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज के ऊपर लगातार खुद को बनाए हुए हैं। शेयर का रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स इस समय 65.86 पर है।
एनालिस्ट मतालिया पेटीएम शेयर पर शॉर्ट टर्म ट्रेडर के लिए सुझाव देते हैं कि वह 980 रुपए के लेवल के पास सपोर्ट और 940 रुपए के लेवल के पास स्टॉप लॉस लगा ले। स्टॉप में 1050 रुपए के ऊपर ब्रेकआउट आता है तो उसे मोमेंटम आधारित एंट्री अपॉर्चुनिटी के तौर पर देखना चाहिए। वहीं लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को पेटीएम शेयर का भाव जब तक 950 रुपए के ऊपर बना रहता हैं तब उस स्थिति में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को पेटीएम शेयर को होल्ड करना चाहिए और एकम्युलेट या जमा करना चाहिए।
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
Source: Economic Times