अगर आप सिर्फ निफ्टी देख रहे हैं, तो असली कहानी मिस कर रहे हैं; ये वो 6 स्टॉक्स जो सच में मायने रखते हैं

बाजार की चाल अब करवट ले रही है. माहौल सुधर रहा है, संकेत मजबूत हो रहे हैं और निवेश के नए मौके उभर रहे हैं. लेकिन याद रखिए, तेजी के माहौल में सबसे ज्यादा धोखा वही खा जाता है जो सिर्फ चमक पर दांव लगाता है. असली समझ वहां शुरू होती है जहां आप जोखिम को दो हिस्सों में देखना सीखते हैं, एक- जोखिम उठाने की आपकी हैसियत और दूसरा- उसे संभालने की आपकी काबिलियत. इन दोनों के लिए लंबे नजरिए का होना जरूरी है. यहां सिर्फ फंड अलोकेशन की बात नहीं है, बात उस सोच की है जिससे आप तय करते हैं कि पैसा किस सेक्टर में जाए और किस कंपनी में टिके. बैंकिंग में वही खिलाड़ी असली हैं जिन्होंने मंदी में भी अपने NPA पर लगाम रखी हो. वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर में भरोसा उस कंपनी पर होना चाहिए जिसने सिर्फ उछाल के दिनों में नहीं, ठहराव के वक्त में भी खुद को साबित किया हो. असली निवेशक वो नहीं जो तेजी में झूम जाए, बल्कि वो है जो हर दौर में टिके रहने वाले बिजनेस को पहचान ले. गेम शॉर्ट टर्म का नहीं है- ये दौड़ है साइक्लिकल उतार-चढ़ाव में स्थिर सोच की.

निवेश करते समय उन बातों को भी महत्व दें जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है. बाजार में तेजी की वापसी को लेकर शक करने की बजाय, आपका ध्यान उस इंडस्ट्री या सेक्टर पर होना चाहिए जिसमें आपने निवेश किया है, या निवेश करने की योजना बना रहे हैं. यह इसलिए जरूरी है क्योंकि निफ्टी की चाल कई बार ऐसे कारणों से तय होती है जिनका उस इंडस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं होता. आखिर में सवाल यह है- अगर निफ्टी ऊपर गया या नीचे आया, तो क्या इसका सीधा असर किसी पावर कंपनी की कमाई पर पड़ेगा? या उस फार्मा कंपनी की जो अभी-अभी यूएस एफडीए से क्लीन चिट लेकर आई है? जवाब है- नहीं.

बाजार रिकवरी के शुरुआती दौर में होते हैं ढेर सारे ‘अगर-मगर’

हम इस बात पर अभी इसलिए जोर दे रहे हैं क्योंकि जब भी बाजार रिकवरी के शुरुआती दौर में होता है, तो उसमें ढेर सारे ‘अगर-मगर’ होते हैं और उतार-चढ़ाव भी ज्यादा रहता है. उदाहरण के लिए- जब यह घोषणा हुई कि भारत-पाक तनाव खत्म हो गया है, तो निफ्टी में जबरदस्त उछाल देखा गया. लेकिन इसके बाद एक करेक्शन आया और वोलैटिलिटी फिर से लौट आई. सच्चाई यह है कि हमें ये तब पता चलता है कि बाजार ने ‘बॉटम’ बना लिया है, जब वह काफी पहले बन चुका होता है. इसलिए बेहतर यही है कि निफ्टी के ऊपर-नीचे जाने की चिंता छोड़कर, उस बिजनेस पर ध्यान दें जिसमें आपने पैसा लगाया है. उसके मैनेजमेंट की क्वालिटी को देखें और यह चेक करें कि क्या उस इंडस्ट्री में कोई बदलाव का मोड़ आने वाला है.

अगर आप इस समय मिड-कैप स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं, तो एक छोटी-सी याद दिला दें- साल 2025 की पहली तिमाही में मिड-कैप सेगमेंट में तेज गिरावट आई थी. इस तरह के करेक्शन समय-समय पर आते रहते हैं. इसलिए इनके लिए तैयार रहें और साथ ही इन्हें नजरअंदाज करना भी सीखें. किसी भी करेक्शन के दौरान घबराहट और बेचैनी, खासकर मिड-कैप में ज्यादा निवेश करने वाले निवेशकों के लिए, सबसे बड़ा नुकसान बन सकती है.

SR Plus रिपोर्ट में से चुने गए 6 मिड-कैप स्टॉक्स

आज हमने कुछ मिड कैप स्टॉक्स की लिस्ट तैयार की है, जिसमें हमनें प्रॉफिटेबिलिटी रेशियो और डिविडेंड ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर कंपनियों को चुना है. जिन स्टॉक्स को चुना गया है, उनमें कम से कम 13% का रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) होना जरूरी था. इसके साथ ही नेट प्रॉफिट मार्जिन को भी जोड़ा गया है, ताकि कंपनी के परफॉर्मेंस को बेहतर तरीके से आंका जा सके. चुनी गई कंपनियों में नेट प्रॉफिट मार्जिन कम से कम 8% होना जरूरी रखा गया है. इसके अलावा इन स्टॉक्स का औसत स्टॉक रिपोर्ट प्लस स्कोर कम से कम 6 है. आइए 7 जून 2025 की SR Plus रिपोर्ट में से चुनी गई 6 मिड-कैप स्टॉक्स के बारे में जानते हैं.

कंपनी का नाम लेटेस्ट एवरेज स्कोर रेकमेंडेशन एनालिस्ट रेकमेंडेशन काउंट अपसाइड पोटेंशियल परसेंट नेट मार्जिन परसेंट RoE % इंस्ट स्टेक परसेंट मार्केट कैप (करोड़ रुपए में)
Elgi Equipments 5 बाय 5 56% 10% 20% 18% 16764
CIE Automotive India 7 बाय 5 56% 9% 13% 24% 16872
Ramkrishna Forgings 6 होल्ड 5 36% 10% 15% 19% 11871
Kirloskar Pneumatic Co 6 स्ट्रॉन्ग बाय 3 34% 13% 21% 33% 8947
Mrs. Bectors Food Specialities 9 बाय 8 33% 8% 16% 32% 8606
Vinati Organics 8 बाय 15 26% 18% 15% 10% 19425

अब इन कंपनियों के बारे में जानते हैं-

  • एल्जी इक्विपमेंट्स लिमिटेड : यह कंपनी एयर कंप्रेसर बनाती और बेचती है. इसके दो मुख्य बिजनेस हैं – एयर कंप्रेसर और ऑटोमोटिव इक्विपमेंट. यह पिस्टन कंप्रेसर, ऑयल-फ्री कंप्रेसर, डीजल इंजन वाले कंप्रेसर, स्क्रू कंप्रेसर, पोर्टेबल कंप्रेसर जैसे कई तरह के प्रोडक्ट बनाती है. इसके डीजल वाले कंप्रेसर ट्रॉली और स्किड माउंटेड होते हैं. कुछ कंप्रेसर इलेक्ट्रिक से भी चलते हैं.
  • CIE ऑटोमोटिव इंडिया लिमिटेड : यह कंपनी गाड़ियों के पार्ट्स बनाती है और अलग-अलग टेक्नोलॉजी में काम करती है, जैसे- फोर्जिंग, कास्टिंग, स्टैम्पिंग आदि. इसके कस्टमर्स कार, ट्रैक्टर कमर्शियल व्हीकल बनाने वाली कंपनियां हैं. कंपनी इंडिया के अलावा यूरोप और मैक्सिको में भी मैन्युफैक्चरिंग करती है.
  • रामकृष्ण फोर्जिंग्स लिमिटेड : यह कंपनी स्टील से बने फोर्ज्ड पार्ट्स बनाती है. इसके पार्ट्स ऑटोमोबाइल, रेलवे, एग्रीकल्चर, ऑयल, गैस, कंस्ट्रक्शन और माइनिंग सेक्टर में इस्तेमाल होते हैं. रेलवे के लिए यह कंपनी सेफ्टी वाले जरूरी पार्ट्स भी बनाती है. इसके फैक्ट्री झारखंड और पश्चिम बंगाल में हैं. कंपनी की अमेरिका में भी एक सब्सिडियरी है.
  • किर्लोस्कर प्न्यूमैटिक कंपनी लिमिटेड : यह कंपनी कंप्रेसर और ट्रांसमिशन मशीनें बनाती है. कंप्रेसर का इस्तेमाल गैस, एसी और कोल्ड स्टोरेज सिस्टम्स में होता है. ट्रांसमिशन डिविजन मरीन इंजन और इंडस्ट्रियल मशीनों के लिए पार्ट्स बनाता है. कंपनी के प्लांट महाराष्ट्र में हैं.
  • मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशलिटीज लिमिटेड : यह कंपनी बिस्किट और ब्रेड जैसी खाने की चीजें बनाती है. Cremica ब्रांड के तहत यह कुकीज, क्रीम बिस्किट और डाइजेस्टिव बिस्किट बनाती है. English Oven ब्रांड से यह ब्रेड, बन, पिज्जा बेस और केक बेचती है. इसके प्रोडक्ट्स देशभर और 63 देशों में एक्सपोर्ट होते हैं.
  • विनती ऑर्गेनिक्स लिमिटेड : यह कंपनी खास तरह के केमिकल बनाती है जिनका इस्तेमाल परफ्यूम, दवाओं और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स में होता है. इसके प्रोडक्ट्स में ऐरोमैटिक केमिकल, मोनोमर और ब्यूटिल फिनोल्स शामिल हैं. यह कंपनी इंटरमीडिएट और स्पेशियलिटी केमिकल्स की मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी है.

SR Plus स्टॉक का स्कोर कैसे तय करता है?

  • अर्निंग्स कंपोनेंट स्कोर: यह स्कोर स्टॉक की पिछले चार क्वार्टरों में अर्निंग्स सरप्राइज, एस्टिमेट रिवीजन और रेकमेंडेशन चेंजेस के आधार पर तय होता है. यदि एक स्टॉक बार-बार अच्छे नतीजे दे रहा है, तो इसका स्कोर ज्यादा होता है, जो इसे बेहतर बनाता है.
  • प्राइस मोमेंटम कंपोनेंट स्कोर : यह स्कोर स्टॉक के रिटर्न की ताकत और सीजनल पैटर्न पर बेस्ड होता है. इसमें 70% वेटेज रिलेटिव स्ट्रेंथ (RSI) को दिया जाता है, जबकि 30% वेटेज सीजनलिटी (साल भर में स्टॉक के परफॉमेंस का औसत) को दिया जाता है. यह स्कोर जितना ज्यादा होता है, स्टॉक उतना ही बेहतर माना जाता है.
  • फंडामेंटल कंपोनेंट स्कोर : यह स्कोर कंपनी के मुनाफे, कर्ज की स्थिति, कमाई की क्वालिटी और डिविडेंड पर बेस्ड होता है. यदि एक कंपनी का फंडामेंटल मजबूत है (जैसे, अच्छा मुनाफा, कम कर्ज और स्टेबल डिविडेंड), तो इसका स्कोर ज्यादा होता है.
  • रिस्क कंपोनेंट स्कोर : यह स्कोर स्टॉक की वोलेटिलिटी और रिस्क पर बेस्ड है. इसमें स्टॉक के पिछले रिटर्न, वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) और सेंसेक्स से इसका कोरिलेशन देखा जाता है. जितना कम रिस्क, उतना अच्छा स्कोर होता है.
  • रिलेटिव वैल्यूएशन कंपोनेंट स्कोर : यह स्कोर स्टॉक की कीमत और इसके वैल्यूएशन पर बेस्ड है. इसमें तीन फैक्टर होते हैं: प्राइस-टू-सेल्स, ट्रेलिंग PE और फॉरवर्ड PE. इन तीनों के औसत से स्टॉक की वैल्यूएशन तय होती है. ज्यादा वैल्यूएशन वाला स्टॉक बेहतर माना जाता है.

इन सभी स्कोर्स का औसत निकालकर स्टॉक की परफॉर्मेंस का मूल्यांकन किया जाता है. ज्यादा स्कोर वाला स्टॉक अच्छा निवेश माना जाता है.

स्टॉक रिपोर्ट्स प्लस क्या है?

स्टॉक रिपोर्ट्स प्लस एक खास रिसर्च रिपोर्ट है जिसे Refinitiv तैयार करता है. यह रिपोर्ट किसी भी स्टॉक का पूरी तरह से आंकड़ों के आधार पर एनालिसिस करती है. इसमें कंपनी की कमाई, फंडामेंटल्स, वैल्यूएशन, रिस्क और प्राइस की चाल यानी कुल पांच हिस्सों के आधार पर स्कोर दिया जाता है. हर हिस्से को 1 से 10 तक नंबर दिए जाते हैं और फिर इनका औसत निकालकर उस स्टॉक को एक फाइनल स्कोर दिया जाता है. अगर कोई स्टॉक 8 से 10 नंबर पाता है, तो उसे अच्छा (Positive) माना जाता है. 4 से 7 वाले स्टॉक्स को ठीक-ठाक (Neutral) और 1 से 3 वाले को कमजोर (Negative) समझा जाता है. रिपोर्ट में सिर्फ स्कोर ही नहीं, बल्कि यह भी बताया जाता है कि स्टॉक का ट्रेंड कैसा है, वो अपने जैसे दूसरे स्टॉक्स के मुकाबले कहां खड़ा है और अलग-अलग एक्सपर्ट्स यानी एनालिस्ट्स की उस पर क्या राय है. इकोनॉमिक्स टाइम्स हिन्दी में हम अपने ETPrime यूजर्स को यह रिपोर्ट बिल्कुल फ्री में दे रहे हैं ताकि निवेशक बेहतर और सोच-समझकर फैसला ले सकें.

डिस्क्लेमर: यह जो जानकारी, विचार, स्कोर या निवेश से जुड़ी सलाह यहां दी गई है, वह इकोनॉमिक्स टाइम्स हिन्दी या उसके मैनेजमेंट की नहीं है. यह बातें अलग-अलग थर्ड पार्टी यानी बाहरी स्रोतों से ली गई हैं. हम यह दावा नहीं करते कि यहां दी गई जानकारी पूरी तरह सही, पूरी या भरोसेमंद है. अगर इसमें कोई गलती या कमी हो या इस जानकारी के आधार पर आपको नुकसान या फायदा हो, तो उसकी जिम्मेदारी ET हिन्दीं की नहीं होगी. यह सारी जानकारी सिर्फ जानकारी देने के लिए है इसे निवेश की सलाह नहीं मानना चाहिए. कोई भी निवेश करने से पहले, आप किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.

Source: Economic Times