तिमाही के नतीजे
कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (Q1FY26) की पहली तिमाही में 26,994 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में अर्जित 15,138 करोड़ रुपये की तुलना में 78% अधिक है.
मुनाफे में यह बड़ी उछाल मुख्यतः इसलिए आई क्योंकि कंपनी ने एशियन पेंट्स में अपने शेयर बेचकर 8,924 करोड़ का एकमुश्त लाभ कमाया. यह उसकी “अन्य रकम” में जुड़ गया. कंपनी द्वारा दर्ज किया गया यह मुनाफा बाजार के 22,069 करोड़ रुपये के अनुमान से कहीं ज़्यादा रहा.
कंपनी का अपने ऑपरेशन से रेवेन्यू 5.3% बढ़कर 2,48,660 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी तिमाही में यह 2,36,217 करोड़ रुपये था. इसका EBITDA 36% बढ़कर 58,024 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 42,748 करोड़ रुपये था. EBITDA मार्जिन में 460 बेसिस प्वॉइंट्स का सुधार हुआ और यह 21.2% पर पहुँच गया.
रिलायंस रिटेल वेंचर्स का राजस्व पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 11.3% बढ़ा. यह वृद्धि मुख्य रूप से सभी सेक्टर्स, खासकर ग्रोसरी और फैशन में मजबूत बिक्री के कारण हुई.
ऑयल-टू-केमिकल (O2C) बिजनेस के रेवेन्यू में पिछले वर्ष की तुलना में 1.5% की गिरावट आई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें कम थीं और नियोजित बंद के कारण कंपनी ने कम प्रोडक्शन किया. हालाँकि, जियो-बीपी के माध्यम से भारत में ईंधन बेचने से इस गिरावट के प्रभाव को कम करने में मदद मिली।.
तेल और गैस कारोबार से रेवेन्यू पिछले साल की तुलना में 1.2% कम रहा. इसकी मुख्य वजह यह रही कि कंपनी ने अपने KGD6 सेक्टर से कम गैस बेची, CBM गैस की कम कीमतें हासिल कीं और कच्चे तेल से कम कमाई की. हालाँकि, KGD6 सेक्टर से गैस की बेहतर कीमत ने रेवेन्यू में कुल गिरावट को कम करने में मदद की.
क्या कहा मुकेश अंबानी ने?
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चैयरमेन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा कि कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) की शुरुआत परिचालन और वित्तीय दोनों ही दृष्टि से मज़बूती से की है. उन्होंने आगे कहा कि पहली तिमाही में कंपनी का ब्याज, कर और अन्य लागतों से पूर्व कुल लाभ (EBITDA) पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अच्छी वृद्धि दर्शाता है, हालाँकि वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ काफ़ी अस्थिर थीं.
मुकेश अंबानी ने कहा कि तिमाही के दौरान वैश्विक एनर्जी मार्केट्स अस्थिर रहे और कच्चे तेल की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव आया. इसके बावजूद, ऑयल-टू-केमिकल (O2C) कारोबार ने घरेलू मांग को पूरा करने और जियो-बीपी नेटवर्क के माध्यम से बेहतर प्रोडक्ट उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करके अच्छा प्रदर्शन किया. ईंधन और अन्य संबंधित प्रोडक्ट पर बेहतर लाभ मार्जिन ने इस प्रदर्शन में योगदान दिया. हालाँकि, केजीडी6 सेक्टर से गैस उत्पादन में स्वाभाविक रूप से गिरावट आई, जिससे तेल और गैस क्षेत्र के मुनाफे (EBITDA) में थोड़ी गिरावट आई.
क्या कहा ब्रोकरेज ने?
ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी ने स्टॉक पर 1,500 रुपये का टारगेट प्राइस के साथ ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग को बनाए रखा है. वहीं ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने भी स्टॉक पर भरोसा जताया है और 1617 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ ‘ओवरवेट’ रेटिंग को बनाए रखा है.
मोतीलाल ओसवाल ने भी अपने टारगेट प्राइस को बढ़ा दिया है और इसे खरीदने की सलाह दी है. ब्रोकरेज ने स्टॉक पर अपने टारगेट प्राइस को पहले के 1685 रुपये से बढ़ाकर 1700 रुपये कर दिया है. ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने भी स्टॉक पर 1767 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदने की सलाह दी है.
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
Source: Economic Times