BofA के सर्वे में एशिया में फंड मैनेजर्स का कॉन्फिडेंस हाई, लेकिन इंडिया चौथे पायदान पर फिसला

निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। पूरे एशिया में फंड मैनेजर्स का कॉन्फिडेंस हाई है। दिसंबर 2024 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। हालांकि, इंडिया को लेकर ग्लोबल फंड मैनेजर्स का भरोसा अपेक्षाकृत कमजोर हुआ है। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज के सर्व से यह जानकारी मिली है। इस सर्वे के नतीजें बताते हैं कि 70 फीसदी फंड मैनेजर्स को लगता है कि वैश्विक इकोनॉमी के झटकों का एशिया पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इससे पता चलता है कि रिस्क सेंटीमेंट में काफी रिकवरी आई है।

सेंटीमेंट में इन वजहों से आ रहा इम्प्रूवमेंट

सेंटीमेंट में इम्प्रूवमेंट की कई बड़ी वजहें हैं। दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों की मॉनेटरी पॉलिसी में नरमी दिख रही है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील हो जाने की उम्मीद है। सर्वे में बताया गया है कि दुनिया के 34 बड़े केंद्रीय बैकों में से 84 फीसदी इंटरेस्ट रेट में कमी कर रहे हैं। इससे आगे सेंटीमेंट और पॉजिटिव होने की उम्मीद है। अब काफी कम इनवेस्टर्स ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी का अनुमान जता रहे हैं। अप्रैल में 82 फीसदी इनवेस्टर्स ने ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी का अनुमान जताया था। अब सिर्फ 31 फीसदी इनवेस्टर्स ऐसा मानते हैं।

इंडिया एशिया में चौथे पायदान पर फिसला

हालांकि, फंड मैनेजर्स बीच इंडिया का अट्रैक्शन घटा है। यह एशिया में चौथे पायदान पर आ गया है। इससे ऊपर जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया हैं। ताइवान और कोरिया को स्ट्रॉन्ग सेमीकंडक्टकर साइकिल का फायदा मिल रहा है। कोरिया में नई लीडरशिप की तरफ से पॉलिसी में रिफॉर्म्स की कोशिशों का भी असर दिख रहा है। चीन में भी इकोनॉमी अब उथलपुथल के दौर से बाहर आ रही है। BofA ने कहा है कि पिछले दो महीनों में अच्छ इम्प्रूमेंट के बाद चीन का ग्रोथ आउटलुक अब स्टेलब दिख रहा है।

चीन की इकोनॉमी के पटरी पर आने के संकेत

हालांकि, अब भी 10 फीसदी मैनेजर्स को चीन की इकोनॉमी में कमजोरी की आशंका लग रही है। परिवारों के रिस्क लेने की क्षमता भी कमजोर है। सर्वे के नतीजें बताते हैं कि इस बात की उम्मीद कम है कि चीन में लोग सेविंग्स के पैसे का इस्तेमाल गैर-जरूरी चीजों को खरीदने के लिए करेंगे। अगर सेक्टर की बात की जाए तो ज्यादातर फंड मैनेजर्स का झुकाव ग्रोथ की तरफ है। जापान को छोड़ एशिया के पोर्टफोलियो में सेमीकंडक्टर्स, सॉफ्टवेयर, टेक हार्डवेयर और बैंकों का पलड़ा भारी है।

Source: MoneyControl