सेबी जल्द ही म्यूचुअल फंड स्कीम को आसान बनाने और भ्रामक सेलिंग को रोकने के लिए जारी करेगा ड्राफ्ट सर्कुलर – सूत्र

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India (SEBI) म्यूचुअल फंड स्कीम्स के क्लासिफिकेशन को सरल बनाने के लिए एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी कर सकता है। इंडस्ट्री के सूत्रों के अनुसार, इस सप्ताह ड्राफ्ट पेपर जारी होने की उम्मीद है। इस सरलीकरण का उद्देश्य निवेशकों को उस प्रोडक्ट या स्कीम के बारे में समझाना है जिसमें वे निवेश कर रहे हैं। निवेशकों को अपने निवेश और स्कीम के बार में सही जानकारी उपलब्ध हो, इसके लिए मार्केट रेगुलेटर होने के नाते सेबी निवेशकों की भलाई के लिए बीच-बीच में इस तरह के कदम उठाता रहता है।

बता दें कि अप्रैल 2025 में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित 17वें म्यूचुअल फंड शिखर सम्मेलन में, सेबी के कार्यकारी निदेशक, मनोज कुमार ने कहा था कि सेबी, रेगुलेटर सहित सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए बिजनेस करने को आसान बनाने (ease of doing business) के लिए संपूर्ण म्यूचुअल फंड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रहा है। इसमें निवेशकों के लिए स्कीम क्लासिफिकेशन मानदंडों को अधिक सहज बनाने हेतु उनकी सक्रिय समीक्षा करना शामिल है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना कि सभी ऑफरिंग्स “लेबल के मुताबिक सही” (“true to label”) रहें ताकि गलत बिक्री को रोका जा सके।

लेबल के अनुसार सही (true to label) होने का क्या अर्थ है?

वर्तमान में म्यूचुअल फंड की 5 व्यापक कैटैगरी है और लगभग 36 सब कैटेगरियां हैं। हाल ही में एक चिंता यह उठी है कि कई बार म्यूचुअल फंड की स्कीम्स ऐसी होती हैं जिन्हें समझना मुश्किल होता है और भ्रम पैदा होता है। उदाहरण के लिए, अपोर्चुनिटी (Opportunity), डायनैमिक (Dynamic), एमर्जिंग (Emerging) आदि जैसे शब्द निवेशकों को फंड के निवेश के उद्देश्य की पूरी जानकारी नहीं देते हैं और इसकी वजह से भ्रामक बिक्री (mis-selling) हो सकती है।

स्कीम्स को सरल बनाने और यह सुनिश्चित करने के प्रति रेगुलेटर का उद्देश्य ये है कि वे लेबल के मुताबिक सही (true to label) रहें, ताकि म्यूचुअल फंड आम लोगों को आसानी से समझ में आ सकें और अगर लोग स्कीम, रिस्क आदि को नहीं समझते हैं तो उनके लिए निवेश करना मुश्किल हो जाएगा।

म्यूचुअल फंड AUM 74 लाख करोड़ रुपये के पार निकला

गौरतलब है कि भारत का म्यूचुअल फंड AUM 74 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। लेकिन यह अभी भी सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) का लगभग 20 प्रतिशत ही है। जबकि वैश्विक औसत 65 प्रतिशत का है। जून 2025 तक कुल म्यूचुअल फंड फोलियो 24.13 करोड़ तक पहुच गए। इसमें इक्विटी, हाइब्रिड और सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीम्स में रिटेल म्यूचुअल फंड फोलियो जून में बढ़कर 19.07 करोड़ हो गए, जो मई में 18.84 करोड़ थे। इन स्कीम्स में रिटेल एयूएम जून 2025 में 43.99 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि मई में यह 42.2 लाख करोड़ रुपये था। एसआईपी एयूएम (SIP AUM) भी जून 2025 में 15 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया।

समाज के निचले तबके को कैपिटल मार्केट से जोड़ने की कवायद

हाल के वर्षों में म्यूचुअल फंड निवेश का एक बहुत लोकप्रिय माध्यम बन गए हैं। सेबी और म्यूचुअल फंड एसोसिएशन AMFI ने भी माइक्रो-एसआईपी शुरू किए हैं ताकि समाज के निचले तबके के लोग भी निवेश कर सकें। वे भी कैपिटल मार्केट में अपनी भागीदारी बना सकें और बाजार की वृद्धि से लाभ उठा सकें।

निवेशकों को व्यापक विकल्प उपलब्ध कराने के लिए रेगुलेटर ने एक नई प्रोडक्ट कैटेगरी को मंजूरी दी है। इसे एसआईएफ (SIF) कहा जाता है। इसमें 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच टिकट साइज वाले निवेशक पर फोकस किया जाता हैं।

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

Source: MoneyControl