Sambhv Steel Tubes के स्टॉक्स में 9 सत्रों में 44% उछाल, सेबी के सर्विलांस फ्रेमवर्क का हिस्सा बना स्टॉक

संभव स्टील ट्यूब्स के शेयर लिस्टिंग के महज 9 कारोबारी दिन के अंदर सेबी के सर्विलांस सिस्टम के हिस्सा बन गए। यह शेयर 2 जुलाई को एक्सचेंज पर लिस्ट हुआ था। इन्हें शॉर्ट-टर्म एडिशनल सर्विलांस मेजर्स (एएसएम) फ्रेमवर्क के स्टेज 1 में रखा गया है। एएसएम का मकसद इनवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा है। जब किसी स्टॉक की कीमतों में बहुत ज्यादा मूवमेंट होता है तो उसे एएसएम में डाल दिया जाता है। इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं।

2 जुलाई को लिस्ट हुए थे स्टॉक्स

Sambhv Steel Tubes का शेयर 2 जुलाई के एक्सचेंजों में लिस्ट हुआ था। संभव स्टील इलेक्ट्रिक रेसिस्टेंस वेल्डेड (ERW) स्टील पाइप्स और स्ट्रक्चरल ट्यूब्स बनाती है। लिस्टिंग के बाद के 9 कारोबारी सत्रों में से 5 में इस स्टॉक की कीमत में 5 फीसदी या इससे ज्यादा उतारचढ़ाव देखने को मिला। इस वजह से इन्हें एएसएम स्टेज 1 में डाल दिया गया। अब इस स्टॉक पर स्टॉक एक्सचेंजों और SEBI की करीब नजरें रहेंगी। खासकर कीमतों में उतारचढ़ाव की ट्रैकिंग होगी।

संभव के शेयरों में लिस्टिंग के बाद लगातार उछाल

अगर किसी स्टॉक में 5 ट्रेडिंग सेशंस में 25 फीसदी का उतारचढ़ाव होता है तो उसे एएसएम के स्टेज 1 में डाला जा सकता है। संभव के स्टॉक में 2 जुलाई यानी लिस्टिंग के दिन 19 फीसदी तेजी आई। 3 जुलाई को स्टॉक में और 4 फीसदी की तेजी आई। 8 जुलाई को और 12 फीसदी तेजी इस स्टॉक में देखने को मिली। 9 जुलाई को 8 फीसदी और 10 जुलाई को 5.1 फीसदी का उछाल देखने को मिला। लिस्टिंग के ठीक बाद किसी शेयर में इतनी तेजी को सामान्य नहीं कहा जा सकता।

एएसएम में डाले जाने की दूसरी और तीसरी शर्त

एएसएम में किसी स्टॉक को डालने के लिए दूसरी शर्त यह है कि 5 सत्रों में बीएसई और एनएसई में 25 टॉप क्लाइंट्स की ट्रेडिंग वॉल्यूम में 30 फीसदी या इससे ज्यादा हिस्सेदारी हो। तीसरी शर्त यह है कि अगर 15 ट्रेडिंग सेशंस में किसी स्टॉक में 40 फीसदी या इससे ज्यादा उतारचढ़ा होता है तो उसे एएसएम में डाला जा सकता है। अगर संभव के शेयरों की बात की जाए तो अभी उसकी लिस्टिंग के 15 दिन पूरे नहीं हुए हैं।

एएसएम का हिस्सा बनने पर होने वाले बदलाव

सवाल है कि ASM फ्रेमवर्क में डालने के बाद क्या बदलाव होता है? पहला यह कि ऐसे शेयरों के लिए अप्लिकेशन मार्जिन रेट बढ़ जाता है। यह मौजूदा मार्जिन का 1.5 गुना या 40 फीसदी में से जो ज्यादा होता वह लागू होता है। मैक्सिमम मार्जिन के लिए 100 फीसदी की सीमा तय है। ग्रॉस ट्रेडेड वैल्यू के लिहाज से टॉप 10 क्लाइंट्स की ट्रेडेड वैल्यू 10 लाख से ज्यादा होने पर उनकी ट्रेडेड वैल्यू पर 100 फीसदी मार्जिन लगाई जाती है।

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15 जुलाई को शेयरों में 3 फीसदी उछाल

किसी कंपनी के स्टॉक के एएसएम का हिस्सा बनने के बाद एक्सचेंज उससे सवाल पूछते हैं। यह पूछा जाता है कि क्या कोई ऐसा कॉर्पोरेट अनाउंसमेंट है, जिसके बारे में मार्केट को बताया जाना चाहिए। एक्सचेंज की वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड होता है, जिस पर उन कंपनियों के नाम दिखते हैं जो सर्विलांस की हिस्सा होती हैं। ध्यान में रखने वाली बात है कि संभव के शेयर 14 जुलाई को 6 फीसदी गिरकर 117.57 रुपये पर बंद हुए। यह शेयर के 82 रुपये के लिस्टिंग प्राइस से 44 फीसदी ज्यादा है। 15 जुलाई को इस स्टॉक का प्राइस 3 फीसदी से ज्यादा ऊपर चल रहा था।

Source: MoneyControl