Market Outlook : गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार, जानिए 14 मई को कैसी रह सकती है इसकी की चाल

Stock market : कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन बाजार में बिकवाली देखने को मिली है। सेंसेक्स, निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए हैं। मिडकैप, स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली देखने को मिली है। TCS के नतीजों के बाद IT इंडेक्स में दबाव देखने को मिला है। ऑटो, रियल्टी, तेल-गैस शेयरों में बिकवाली देखने को मिली है। फार्मा और FMCG इंडेक्स बढ़त पर बंद हुए हैं। निफ्टी 205 प्वाइंट गिरकर 25,150 पर बंद हुआ है। सेंसेक्स 690 प्वाइंट गिरकर 82,500 पर बंद हुआ है। निफ्टी बैंक 201 प्वाइंट गिरकर 56,755 पर बंद हुआ है। मिडकैप 518 प्वाइंट गिरकर 58,642 पर बंद हुआ है। निफ्टी के 50 में से 38 शेयरों में गिरावट रही। सेंसेक्स के 30 में से 23 शेयरों में गिरावट रही। निफ्टी बैंक के 12 में से 7 शेयरों में गिरावट देखने को मिली।

तकनीकी नजरिए से देखें तो निफ्टी 50 इंडेक्स ने 25,300 के अपने अहम सपोर्ट स्तर को पार कर लिया है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​था कि इस स्तर से नीचे जाने पर निफ्टी 25,100-25,000 के स्तर तक गिर सकता था। चॉइस ब्रोकिंग के सीनियर टेक्निकल और डेरिवेटिव एनालिस्ट मंदार भोजने का कहना है कि ऊपर की ओर 25,500 पर पहला रेजिस्टेंस है और 25,600 के आसपास अगला बड़ा रेजिस्टेंस है। निफ्टी जब तक इन स्तरों को फिर से प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक इंडेक्स दबाव में रहेगा।

उन्होंने आगे कहा कि अनिश्चितता और भारी उठापटक से भरे मौजूदा माहौल को देखते हुए ट्रेडरों को सलाह दी जाती है कि वे सतर्क रहते हुए “वेट एंड वॉच” की रणनीति अपनाएं। बहुत ज्यादा लीवरेज्ड पोजीशन लेने से बचें। उछाल पर थोड़ी-थोड़ी मुनाफावसूली और टाइट ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस लगाने की सलाह होगी।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि पहली तिमाही के नतीजों के मौसम की धीमी शुरुआत और अमेरिका द्वारा कनाडा पर 35 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी के कारण घरेलू बाजार में आज गिरावट दर्ज की गई। निवेशक गिरावट पर खरीदारी की रणनीति के तहत तिमाही नतीजों पर फोकस कर सकते हैं। हालांकि, शॉर्ट टर्म में महंगा वैल्यूशन और लो स्पेंडिंग और टैरिफ अनिश्चितता जैसी ग्लोबल चुनौतियां नए निवेश के लिए बाधा बन सकती हैं। ऑर्डर में देरी और नए निवेश के टलने के कारण आईटी इंडेक्स का प्रदर्शन कमजोर रहा। ऑर्डर में देरी और नए निवेश के टलने का निगेटिव असर वित्त वर्ष 2026 के आय अनुमानों पर पड़ सकता है।

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Source: MoneyControl