जेन स्ट्रीट ग्रुप पर सेबी के ट्रेड बैन के बाद इंडियन डेरिवेटिव्स के लिए पहले प्रमुख एक्सपायरी डे पर ऑप्शन प्रीमियम के आधार पर कारोबार का मूल्य चार महीने के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया.
विश्व के सबसे बड़े इक्विटी-डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से गुरुवार को अपेक्षाकृत सुचारू ट्रेड सेशन के बाद पता चला कि यह राशि ऐसे दिनों के लिए वर्ष के औसत से लगभग 40 प्रतिशत कम रही.
निवेशक इस दिन का यह देखने के लिए इंतज़ार कर रहे थे कि पिछले शुक्रवार को जारी भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश का बाज़ार पर कोई असर पड़ेगा या नहीं. गुरुवार को ही देश के लगभग आधे इक्विटी-डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी होती है. यह दिन जेन स्ट्रीट की उस आकर्षक रणनीति का केंद्रबिंदु है जिसे सेबी ने बाज़ार हेरफेर कहा है. अमेरिकी दिग्गज कंपनी ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि वह सामान्य आर्बिट्रेज ट्रेड्स का इस्तेमाल कर रहा था.
बेंचमार्क एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स बिना किसी बदलाव के खुला, इसके सबसे बड़े घटक – एचडीएफसी बैंक लिमिटेड , रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड में मामूली बदलाव हुआ. हालांकि यह 0.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ, लेकिन भारत एनएसई वोलैटिलिटी इंडेक्स अप्रैल 2024 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ.इस दौरान ऑप्शन का वॉल्यूम भी कम हुआ.
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि निफ्टी 50 ऑप्शन ट्रेडिंग 29 मई के बाद से किसी एक्सपायरी डे के लिए सबसे कम थी, लेकिन इस वर्ष की एक्सपायरी के लिए औसत मात्रा के अनुरूप थी.सेबी की “कड़ी निगरानी” को देखते हुए निवेशक सावधानी बरत रहे हैं.
सेबी ने पिछले दिनों जेन स्ट्रीट की मार्केट ट्रेड एक्टिविटीज़ में हेरफेर पाया और उस पर प्रतिबंध लगाया. सेबी डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर सख्ती बरत रहा है, क्योंकि 40 गुना वृद्धि के साथ भारत इन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है और खुदरा निवेशकों को इन पर अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. नियामक की इस हफ़्ते की शुरुआत में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, डेरिवेटिव ट्रेडिंग में कमी तो आई है, लेकिन उनका घाटा और भी बढ़ गया है.
Source: Economic Times