आइए विस्तार से समझते है….
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि Jaiprakash Associates को खरीदने के लिए ₹12,000 करोड़ की बिना शर्त बोली अदानी ग्रुप ने लगाई है.
इस डील में ₹3,500 करोड़ की तुरंत कैश पेमेंट शामिल है. साथ ही कंपनी के पास ₹890 करोड़ की रकम भी छोड़ने की बात है और विवादित Yamuna Expressway की ज़मीन पर ₹2,600 करोड़ का रिस्क उठाने का प्रस्ताव भी.
Hindenburg Report (जनवरी 2023) और US DOJ की ब्राइबरी जांच (नवंबर 2024) के बाद Adani की ये पहली ₹8,000 करोड़ से बड़ी डील है.
अगर Supreme Court से हरी झंडी मिलती है तो ये डील Adani की वापसी का बड़ा संकेत मानी जाएगी.इससे पहले Adani ने Holcim के Cement बिज़नेस को ₹53,000 करोड़ में खरीदा था.
बेस उत्तर प्रदेश की ये कंपनी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर है.Cement, Power, Real Estate, Formula One Track, Hostels जैसे क्षेत्रों में काम करती है.Adani के बिज़नेस से ये मेल खाती है, जिससे सिनर्जी बन सकती है.
ग्रेटर नोएडा की 1,000 हेक्टेयर Sports City प्रोजेक्ट की ज़मीन पर विवाद है.मार्च 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने YEIDA की ज़मीन रद्द करने की बात सही मानी.मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. ये केस डील को टकटकी पर डाल सकता है.
अन्य दावेदार कौन-कौन थे
Adani के अलावा Jaiprakash को खरीदने के लिए Dalmia Bharat, Jindal Steel & Power, Vedanta जैसी बड़ी कंपनियों ने भी बोली लगाई.लेकिन इन्होंने कुछ कानूनी शर्तें रखी थीं, वहीं Adani की बोली बिना शर्त थी – जिससे उसे बढ़त मिल गई.
जिनके पास Adani Group की कंपनियों के शेयर हैं (जैसे Adani Enterprises, Adani Ports, Adani Power), उनके लिए ये डील मिश्रित संकेत देती है:
पॉजिटिव: Adani की विस्तार नीति लौट रही है.
निगेटिव: अगर सुप्रीम कोर्ट में केस फंसा तो डील अटक सकती है, और फंडिंग रिस्क भी बना रहेगा.
Jaiprakash Associates के शेयरहोल्डर्स को सीधा फायदा नहीं मिलेगा, क्योंकि कंपनी दिवालिया है.Adani Cement, Adani Realty और Infra सेक्टर की अन्य कंपनियों के शेयरों में हलचल संभव है.
Supreme Court का फैसला – डील की किस्मत इस पर टिकी है.CoC की मंज़ूरी – बैंकों की क्रेडिटर कमेटी अभी अंतिम मूल्यांकन कर रही है.Adani की फंडिंग स्ट्रैटेजी – क्या कंपनी कैश रिज़र्व से डील करेगी या फिर कर्ज लेगी?
कुल मिलाकर- Adani की ये बोली न सिर्फ उसके कॉर्पोरेट कॉन्फिडेंस की वापसी दिखाती है, बल्कि Cement और Infra सेक्टर में उसकी मजबूत पकड़ भी साफ करती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के केस और फंडिंग स्ट्रक्चर को लेकर सतर्क रहना जरूरी है. निवेशकों को इस पर नज़र रखनी चाहिए कि क्या ये डील “रिवाइवल” बनेगी या “रिस्क” साबित होगी.
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Source: CNBC