सेंसेक्स 82,821 पर खुला और 650 अंक गिरकर 82,536 के निचले स्तर पर आ गया. एनएसई के समकक्ष निफ्टी 50 ने दिन की शुरुआत 25255 पर की और 25,162 के निचले स्तर पर आ गया.
बिकवाली व्यापक स्तर पर हुई और सत्र के दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी 0.70 प्रतिशत की गिरावट आई.
गिरते हुए बाज़ार में एफएमसीजी और फार्मा सेक्टर में खरीदारी देखी जा रही है. निफ्टी 50 के टॉप गेनर्स हिंदुस्तान यूनिलीवर, एसबीआई लाइफ, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया, सनफार्मा जैसे स्टॉक बने हुए थे.निफ्टी 50 के टॉप लूज़र्स में टीसीएस, विप्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, जियो फाइनेंस, अपोलो हॉस्पिटल्स जैसे स्टॉक शामिल रहे.
अगर निफ्टी के लेवल देखें तो ऊपरी लेवल 25600 के लेवल से नीचे की ओर गिरने से निफ्टी का अपट्रेंड प्रभावित हो रहा है. हालांकि निफ्टी का अपट्रेड अब भी इन्टैक्ट है,क्योंकि निफ्टी अब भी 200 सिंपल मूविंग एवरेज के ऊपर है.
बाज़ार में शुक्रवार की गिरावट का कारण
अर्निंग सीज़न की खराब शुरुआत
टीसीएस ने 10 जुलाई को पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए, जो बाज़ार की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. यह इस आईटी दिग्गज के लिए लगातार तीसरी तिमाही थी जब राजस्व में गिरावट दर्ज की गई.
टीसीएस ने जून तिमाही में 7.42 अरब डॉलर का राजस्व दर्ज किया, जो तिमाही-दर-तिमाही 0.59 प्रतिशत और एक साल पहले की तुलना में 1.12 प्रतिशत कम है. ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वेक्षण किए गए 33 विश्लेषकों के अनुमानों के अनुसार, टीसीएस का राजस्व 7.54 अरब डॉलर रहने का अनुमान था, जो कि जून 2020 के बाद से टीसीएस का सबसे खराब पहली तिमाही का प्रदर्शन था, जब इसके राजस्व में क्रमिक आधार पर 7 प्रतिशत की गिरावट आई थी. टीसीएस ने अर्निंग सीज़न की खराब शुरुआत की.
ट्रम्प का टैरिफ इम्पैक्ट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ वॉर को और बढ़ा दिया, क्योंकि उन्होंने गुरुवार 11 जुलाई को कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 35 प्रतिशत टैरिफ दर की घोषणा की , जो 1 अगस्त से लागू होगी.
उन्होंने संकेत दिया कि जिन देशों को टैरिफ लेटर नहीं मिले हैं, उनके लिए टैरिफ दरें वर्तमान 10 प्रतिशत से अधिक 15 प्रतिशत या 20 प्रतिशत निर्धारित की जा सकती हैं. भारत पर भी इसी दायरे में टैरिफ लग सकता है.
हाई वैल्यूएशन
मार्केट के साथ साथ डिफेंस और रियल एस्टेट जैसे कुछ सेक्टर ओवरबॉट ज़ोन में हैं और इनके हाई वैल्यूएशन में होने के कारण मार्केट में एक करेक्शन ड्यू था, जो आज हो रहा है.
Source: Economic Times