9 जुलाई को इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप (IMG) की बैठक हुई जिसमें Share Purchase Agreement (SPA) के ड्राफ्ट पर चर्चा हुई.SPA एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें खरीद-बिक्री की शर्तें तय होती हैं — जैसे रेकगुलेटरी मंज़ूरी, मैनेजमेंट ट्रांजिशन, फंड ट्रांसफर और खरीदार की जिम्मेदारियां.अब यह ड्राफ्ट अगली मंज़ूरी के लिए जाएगा — पहले Core Group of Secretaries on Disinvestment (CGD) फिर वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह से फाइनल अप्रूवल मिलेगा.
अक्टूबर तक कैसे पूरा होगा सौदा
सरकारी सूत्रों का कहना है-SPA फाइनल होते ही फाइनेंशियल बिड्स मंगवाई जाएंगी. खरीदार तय होने के बाद, उसी दिन SPA साइन होगा, सरकार अपनी हिस्सेदारी ट्रांसफर करेगी और सरकार को पैसा मिलेगा – यह सब एक ही दिन होगा.
यानी अगर सब कुछ टाइम पर हुआ और कोई कानूनी अड़चन नहीं आई, तो IDBI Bank की बिक्री अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी.
कौन बेच रहा है? कितना हिस्सा?
सरकार और LIC मिलकर 60.72% हिस्सेदारी बेच रहे हैं.
सरकार के पास है: 30.48%
LIC के पास है: 49.24%
LIC ने 2019 में IDBI Bank में निवेश कर इसे प्राइवेट बैंक बना दिया था, लेकिन अभी भी यह डील सरकार के कंट्रोल के तहत है.
निवेशकों के लिए क्या है बड़ा मतलब
अगर आपने IDBI Bank के शेयर ले रखे हैं-यह खबर शेयर में मोमेंटम ला सकती है, क्योंकि फाइनली डील क्लोज़र का टाइमलाइन सामने आया है.अब बाजार को फोकस करना होगा कि कौन खरीदार आता है और क्या वह बैंक में संरचनात्मक बदलाव लाता है.
अगर बाजार में कोई रुकावट या कानूनी अड़चन आई, तो डील फिर से लटक सकती है.शॉर्ट टर्म में वोलैटिलिटी रहेगी — इसलिए पोर्टफोलियो में स्थिति के अनुसार ट्रिमिंग या एडिशन करें.
अगर IDBI Bank की बिक्री सफल होती है, तो यह देश में पहली बड़ी बैंक प्राइवेटाइजेशन डील होगी.यह आने वाले समय में अन्य सरकारी बैंकों की बिक्री के लिए रास्ता साफ करेगी.
इसलिए यह डील सिर्फ एक सौदा नहीं, बल्कि सरकारी बैंकों के भविष्य का टेस्ट केस मानी जा रही है.
IDBI Bank की बिक्री का पहिया अब आखिरी पड़ाव पर है. अगर अक्टूबर तक यह डील हो जाती है, तो यह सरकार के बैंकिंग प्राइवेटाइजेशन प्लान का सबसे बड़ा स्टेप होगा.
Source: CNBC