पिछले एक साल में वोडाफोन आइडिया के शेयर की कीमत में 57% से ज़्यादा की गिरावट आई है. टेक्नीकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर में अभी भी गिरावट का रुख है. वे यह भी बताते हैं कि शेयर में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं क्योंकि निवेशकों की इसमें ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है और कुल मिलाकर इसका प्रदर्शन कमज़ोर दिख रहा है.
क्या कहा एक्सपर्ट्स ने?
चॉइस ब्रोकिंग में स्टॉक डेरिवेटिव्स के एक्सपर्ट्स हार्दिक मटालिया ने कहा कि वोडाफोन आइडिया का शेयर लंबे समय से गिरावट के दौर से गुजर रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि ज़्यादा निवेशक इस शेयर को खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
चॉइस ब्रोकिंग के हार्दिक मटालिया ने कहा कि वोडाफोन आइडिया के शेयर में कभी-कभार मामूली सुधार देखने को मिला है, लेकिन इसने लगातार मजबूती नहीं दिखाई है. कुल मिलाकर, शेयर के लिए आउटलुक अभी भी नेगेटिव है. उन्होंने आगे कहा कि अगर शेयर की कीमत 6.30 रुपये से नीचे गिरती है, तो इसमें और भी गिरावट आ सकती है. वहीं दूसरी ओर, अगर यह बढ़कर 10.50 रुपये से ऊपर रहता है, तो यह नेगेटिव दृष्टिकोण को बदलने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में मदद कर सकता है.
उन्होंने कहा कि रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), जो किसी शेयर की मज़बूती या कमज़ोरी दर्शाता है, अभी 55.47 पर है. हालाँकि, एक नकारात्मक संकेत (जिसे क्रॉसओवर कहा जाता है) के कारण यह कमज़ोर दिखने लगा है. उन्होंने यह भी बताया कि शेयर की कीमत अपने लॉन्गटर्म एवरेज लेवल से नीचे है, और अगर यह अपने शॉर्टटर्म एवरेज लेवल से भी नीचे गिरता है, तो यह गिरावट को और भी मज़बूत बना सकता है.
उन्होंने कहा कि शॉर्टटर्म ट्रेडर्स को शेयर के 7 रुपये से नीचे गिरने तक इंतज़ार करना चाहिए, उसके बाद ही आगे की गिरावट (जिसे “शॉर्टिंग” कहा जाता है) से लाभ कमाने के लिए इसे बेचने के बारे में सोचना चाहिए. अगर कोई शेयर खरीदना चाहता है, तो उसे ऐसा तभी करना चाहिए जब उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम के साथ कीमत में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हो, जो संभावित ट्रेंड रिवर्सल का संकेत हो.
वोडाफोन आइडिया के शेयर में तकनीकी कमजोरी ऐसे समय में दिख रही है जब इसके विशाल एडजस्टिड ग्रोस रेवेन्यू (AGR) बकाया को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. कंपनी ने सरकार से भुगतान के लिए और समय माँगा है, लेकिन हालिया रिपोर्टों के अनुसार दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा समय सीमा बढ़ाने की संभावना नहीं है. वोडाफोन आइडिया को यह बकाया राशि, जो कुल ₹84,000 करोड़ है, वित्तीय वर्ष 2026 (FY26) से चुकानी शुरू करनी है.
यह स्थिति वोडाफोन आइडिया की वित्तीय समस्याओं को और बदतर बना रही है, हालाँकि सरकार ने पहले कंपनी के बकाया 36,950 करोड़ रुपये को शेयरों में बदलकर मदद करने की कोशिश की थी. इस कदम से सरकार को कंपनी में 49% हिस्सेदारी मिल गई थी.
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
Source: Economic Times