बाजार में हेरफेर नहीं किया जाएगा बर्दाश्त, बढ़ा दी गई है निगरानी; जेन स्ट्रीट मसले पर SEBI चीफ तुहिन कांत पांडेय

बाजार में हेरफेर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जेन स्ट्रीट मामले के एक दिन बाद यह बात कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कही। पांडेय बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसायटी की ओर से आयोजित एक प्रोग्राम में सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि रेगुलेटर और शेयर बाजार स्तर पर निगरानी बढ़ा दी गई है। SEBI ने अमेरिका में बेस्ड ग्लोबल प्रॉपराइटरी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट को भारत के सिक्योरिटी मार्केट्स में बैन कर दिया है। इस फर्म पर इंडेक्स ऑप्शंस में भारी मुनाफा कमाने के लिए एक्सपायरी डेज में इंडेक्स लेवल में कथित रूप से हेरफेर करने का आरोप है। SEBI ने इसे गैरकानूनी तरीके से कमाए गए 4,843 करोड़ रुपये के मुनाफे को वापस करने का निर्देश दिया है।

सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने अंतरिम आदेश में Jane Street Group की एंटिटीज JSI इनवेस्टमेंट्स, JSI2 इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर पीटीई लिमिटेड और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग को सिक्योरिटी मार्केट्स में बैन कर दिया है। इन एंटिटीज को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से सिक्योरिटीज को खरीदने, बेचने या अन्य लेनदेन करने से भी रोक दिया गया है।

जब तुहिन कांत पांडेय से यह पूछा गया कि क्या अन्य विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के साथ भी इसी तरह के पैटर्न देखे गए हैं, उन्होंने कहा, “मैं बस इतना कह सकता हूं कि बाजार में हेरफेर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

केवल चेकलिस्ट तक न रहे कॉरपोरेट गवर्नेंस

ईवेंट में SEBI चीफ ने कहा कि रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस का खुलासा करने में पारदर्शिता, हितों के टकराव का मैनेजमेंट और समय पर महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को प्रेजेंट करना, एक CA की अनिवार्य जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने CAs को सलाह दी, “आपकी यह सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि कॉरपोरेट गवर्नेंस को चेकलिस्ट तक सीमित न रखा जाए।”

आगे कहा कि SEBI ने लिस्टेड एंटिटीज के लिए एक मजबूत डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क स्थापित किया है। रेगुलर डिस्क्लोजर निवेशकों को वित्तीय स्थिति को समझने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। हालांकि, गलत या देरी से किए गए डिस्क्लोजर बड़े जोखिम पैदा कर सकते हैं।

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बहुत अधिक अनुपालन बढ़ाते हैं बोझ

आगे कहा, “हम इस बात को भी ध्यान में रखते हैं कि बहुत अधिक जानकारी, बहुत अधिक अनुपालन, एक बड़े अनुपालन बोझ को और बढ़ाते हैं। यह उस हित को पूरा नहीं कर सकता है, जिसे हम असल में पूरा करना चाहते हैं। हम यह भी देखना चाहेंगे कि कम अनुपालन, कम इनफॉरमेशन, कम बोझिल जिम्मेदारी और रेगुलेटर की ओर से कम माइक्रो मैनेजमेंट के साथ बेहतर रिजल्ट पाने की संभावना कहां-कहां है।”

Source: MoneyControl