एचडीएफसी बैंक (HDFC बैंक) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ शशिधर जगदीशन (Sashidhar Jagdishan) को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार 4 जुलाई को बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने मुंबई के लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के मामले में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। यह ट्रस्ट मुंबई के फेमस लीलावती हॉस्पिटल को चलाता है। इसने शशिधर जगदीशन के खिलाफ फ्रॉड, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात के आरोपों में FIR दर्ज कराया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट से इस मामले 14 जुलाई को सुनवाई की उम्मीद करता है और तब तक किसी तरह की अंतरिम राहत नहीं दी गई है।
क्या है मामला?
यह मामला लीलावती कीर्ति लाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की ओर से दर्ज कराई गई एक शिकायत से जुड़ा है। ट्रस्ट का आरोप है कि शशिधर जगदीशन ने चेतन मेहता ग्रुप (Chetan Mehta Group) का ट्रस्ट के प्रशासन पर अवैध और अनुचित नियंत्रण बनाए रखने में मदद करने और वित्तीय सलाह देने के बदले में कथित तौर पर 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।
लीलावती कीर्ति लाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने जगदीशन पर एक प्राइवेट बैंक के प्रमुख के रुप में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करते हुए एक चैरिटेबल ट्रस्ट के आंतरिक मामलों में दखल करने का आरोप लगाया है
जगदीशन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में उनके वकील सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुंदरेश और के विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
किन धाराओं में केस दर्ज हुआ?
ट्रस्ट की दी गई शिकायर के आधार पर, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175 (3) के तहत बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के बाद बांद्रा पुलिस स्टेशन में जगदीशन के खिलाफ FIR दर्ज की गई। उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और पब्लिक सर्वेंट के रूप में आपराधिक विश्वासघात के कथित आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ट्रस्ट ने की है CBI जांच की मांग
ट्रस्ट ने इस महीने की शुरुआत में जारी एक बयान में आरोप लगाया कि 2.05 करोड़ रुपये का भुगतान ट्रस्ट को “लूटने” और चेतन मेहता समूह के पक्ष में इसकी फैसला लेने की प्रक्रियाओं में हेरफेर करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। ट्रस्ट ने इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है।
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Source: MoneyControl