आईपीओ को 1.61 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की बोलियाँ मिलीं. बड़े निवेशकों, जैसे संस्थानों ने रिटेल निवेशकों की तुलना में बहुत ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) का हिस्सा 55 गुना से ज़्यादा सब्सक्राइब हुआ, जबकि रिटेल पॉर्शन सिर्फ़ 1.4 गुना सब्सक्राइब हुआ. कुल मिलाकर, आईपीओ को लगभग 17 गुना ओवरसब्सक्राइब किया गया.
ब्रोकरेज ने क्या कहा?
ब्रोकरेज फर्म एमके एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज पर कवरेज शुरू करने वाली पहली ब्रोकरेज है. ब्रोकरेज ने स्टॉक को खरीदने की सलाह दी है और जून 2026 के लिए 900 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है.
ब्रोकरेज ने कहा कि एचडीबी फाइनेंशियल एक बड़ी लोन देने वाली कंपनी है जो भारत में कई स्थानों पर प्रोडक्ट की एक बड़ी चैन प्रदान करती है. इसकी लोन बुक बहुत फैली हुई है – टॉप 20 लेंडर्स इसके कुल लोन का केवल 0.34% हिस्सा बनाते हैं, जिसका अर्थ है कि यह कुछ बड़े ग्राहकों पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है. कंपनी 1.9 करोड़ (19 मिलियन) से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान करती है. इसने आर्थिक मंदी और कोविड महामारी जैसे कठिन समय को सफलतापूर्वक संभाला है, और जमीन से ऊपर उठकर लगातार विकास किया है.
एचडीबी फाइनेंशियल मुख्य रूप से दूरदराज और छोटे शहरों में ग्राहकों को सीधे लोन देने पर ध्यान केंद्रित करता है. वित्त वर्ष 25 में लगभग 82 प्रतिशत लोन इसी तरह दिए गए थे. वहीं इसकी 70% शाखाएँ टियर 4 शहरों और उससे छोटे शहरों में हैं. यह मुख्य रूप से निम्न से मध्यम आय वाले लोगों को सेवा प्रदान करता है, जिनके पास अक्सर क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती है. इस रणनीति का नेतृत्व एक अनुभवी और स्थिर टॉप मैनेजमेंट वाली टीम द्वारा किया गया है, जिनमें से अधिकांश 10 वर्षों से अधिक समय से कंपनी के साथ हैं.
एक्सपर्ट्स क्या बोले?
मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत तापसे का मानना है कि जिन लोगों को आईपीओ में शेयर मिले हैं, उन्हें उन्हें मिड से लॉन्ग टर्म तक अपने पास रखना चाहिए. जिन लोगों को आईपीओ के दौरान शेयर नहीं मिले, उनके लिए उनका कहना है कि अगर ट्रेडिंग शुरू होने के बाद शेयर की कीमत गिरती है, तो यह खरीदने का अच्छा मौका हो सकता है.
उन्होंने कहा कि भारत के एनबीएफसी सेक्टर में लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावना – विशेष रूप से रिटेल एंड स्मॉल बिजनेस (एसएमई) लोन जैसे सेक्टर में, एचडीबी फाइनेंशियल को एक अच्छा निवेश अवसर बनाती है.
Source: Economic Times