पिछले एक साल के दौरान सोने की कीमतों में जोरदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मुख्य रूप से यह बढ़ोतरी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से असंभावित टैरिफ में बदलाव, इंटरनेशनल ट्रेड में रुकावट ईरान-इजरायल युद्ध जैसे वैश्विक अनिश्चिचताओं की वजह से देखने को मिली है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछले एक साल में सोने की कीमत में 40 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया है और इस अपसाइकिल मे यह अपने हाई पर पहुंच सकता है। दरअसल, अनिश्चितताओं के दौरान सोना जैसे एसेट एक स्टेब्लाइजर का काम करते हैं।
आज भी बढ़ा सोने का दाम
डोमैस्टिक फ्यूचर मार्केट में गुरुवार को सोने की कीमतों में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई। दरअसल, अमेरिका और भारत की बीच व्यापार समझौत को लेकर अनिश्चितता और स्पॉट मार्केट में डिमांड बढ़ने से इसकी कीमतों में उछाल आया है। हालांकि, आने वाले अमेरिकी रोजगार आंकडों की वजह से निवेशक सर्तक रहे, जिससे यह बढ़ोतरी सीमित समय के लिए ही रही। गुरुवार को सुबह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) 5 अगस्त की एक्सपायरी वाला सोना 0.06 प्रितिशत की बढ़ोतरी के साथ 97,452 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर कारोबार कर रहा था।
गोल्ड और निफ्टी में किसने दिया ज्यादा रिटर्न
बता दें कि अप्रैल 2024 से अब तक सोना निवेशकों को 45 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दे चुका है, जबकि इसी अवधि में निफ्टी 50 इंडेक्स में 13.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दरअसल, इस अवधि के दौरान कई सारे वैश्विक अनिश्चितताएं, युद्ध का संकट और व्यापार रुकावटों ने सोने की डिमांड को बढ़ाया। वहीं, शेयर मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव जारी रहा, जिससे निवेशक इक्विटी से निकलकर सुरक्षित निवेश का रुख किए। हालांकि,निफ्टी ने भी उतार-चढ़ाव के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
निफ्टी ने दिखाया लचीलापन
मिंट को Bonanza में सीनियर टेक्निकल रिसर्च एनालिस्ट कुणाल कांबले ने कहा, इन जियो-पॉलिटिकल चिंताओं और माइक्रोइकोनॉमी चुनौतियों के बावजूद निफ्टी ने लचीलापन दिखाया है, जो भारतीय इक्विटी में बड़ी खरीद और लगातार निवेश की रुचि का संकेत है। कांबले ने आगे कहा कि मंथली टाइमफ्रेम पर गोल्ड ओवरबॉट जोन में घुस चुका है, जो मौजूदा स्तर से लॉन्ग इंट्री के लिए सतर्कता बढ़ाता है।
इक्विटी में निवेश के लिए अच्छा संकेत
मास्टर कैपिटल सर्विस में AVP रिसर्च & एडवाइजरी, विष्णु कांत उपाध्याय का मानना है कि बाजार की मौजूदा स्थिति भारतीय इक्विटी के लिए एक अच्छे माहौल का संकते देती है। खासकर निफ्टी 50 और सेंसेक्स पर लिस्टेड स्टॉक के लिए। इसके पीछे की वजह मजबूत घरेलू फंडामेंटल्स, भारतीय रिजर्व बैंक की नितियां, वित्त साल 2026 की पहली तिमाही के मजबूत रिजल्ट और अच्छे मानसून जैसे सकारात्मक कारक है। इसके अलावा, FII इंफ्लो, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट, भारत- अमेरिका के बीच ट्रेड डील और बैंकिंग फाइनेंशियल सेक्टर में आकर्षक वैल्यूएशन भी शामिल हैं। विष्णु कांत के मुताबिक, ये कारक इक्विटी इन्वेस्टमेंट को आकर्षक बनाते हैं।
सोना या मार्केट, कहां लगाएं दाव
उन्होंने आगे कहा कि, आरबीआई की खरीद,अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती, डॉलर में गिरावट और जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से सोना एक सुरक्षित संपत्ति बना हुआ है। हालांकि, अधिक खरीददारी से इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है। उन्होंने आगे कहा कि इसके हालिया रैली को प्रॉफिट बुक करना एक समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है, जबकि निफ्टी या सेंसेक्स में निवेश करने की सलाह दी।
डिस्क्लेमर: ऊपर दिए गए विचार और सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, न कि मिंट के। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच करें।
Source: Mint