डिफेंस सेक्टर का बिगेस्ट मल्टीबैगर, 1 साल में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ने दिया 190% रिटर्न, तेजी की क्या है वजह

Garden Reach Shipbuilders & Engineers : डिफेंस सेक्टर इन दिनों निवेशकों के फोकस में है, खासतौर से ऑपरेशन सिंदूर के बाद. माना जा रहा है कि मजबूत ऑर्डर आउटलुक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियां, और सरकार के भारी निवेश के चलते इस सेक्टर को फायदा मिलेगा. इसका फायदा डिफेंस शिपयार्ड सेक्टर को मिल रहा है और इसमें  FY26–27 के दौरान लगभग 2,354 बिलियन रुपये के मेगा ऑर्डर की संभावना है. इन सबके बीच इसी सेक्टर की कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) सबसे बड़ी मल्‍टीबैगर बनकर उभरी है. 

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1 साल में करीब ट्रिपल हो गया स्टॉक 

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड का स्‍टॉक (Defence Stocks) आज करीब 4 फीसदी मजबूत होकर 3521 रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल का नया हाई है. बीते 1 साल में यह स्टॉक करीब 190 फीसदी मजबूत हुआ है. वहीं 3 साल में इसका सीएजीआर रिटर्न 139 फीसदी रहा है. सिर्फ इसी साल यानी 2025 में यह शेयर 100 फीसदी से अधिक मजबूत हुआ है. इसमें 1 महीने में 79 फीसदी तेजी आई है. 

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GRSE : शेयर में क्‍यों है इतनी तेजी 

इस तेजी की वजह देश का पहला पोलर रिसर्च जहाज (PRV) बनाने के लिए नार्वे की कंपनी कोंग्सबर्ग के साथ हुए करार को माना जा रहा है. ये जहाज भारत में ही बनाया जाएगा. PIB की रिपोर्ट के अनुसार, ये परियोजना नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च के साथ पोलर और सदर्न की जरूरतों में मदद करेगी. जहाज आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित होगा, जिससे रिसर्चर महासागरों की गहराई का पता लगा सकेंगे, समुद्री इकोसिस्टम का अध्ययन कर सकेंगे और हमारे ग्रह के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नई जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

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GRSE : कंपनी को आगे क्‍यों मिलेगा फायदा 

ब्रोकरेज हाउस एंटिक ब्रोकिंग के अनुसार शिप रिपेयर का बढ़ता अवसर के चलते कंपनी बिग बेनेफिशियरी हो सकती है. वैश्विक शिप रिपेयर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, और भारत की रणनीतिक स्थिति इसे इस सेक्‍टर में प्रमुख खिलाड़ी बना सकती है. भारतीय शिपयार्ड भारतीय नौसेना के साथ-साथ अमेरिकी नौसेना की 5वीं और 7वीं फ्लीट को सेवाएं देने के लिए समझौते कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, मझगांव डॉक और कोचीन शिपयार्ड ने US नेवी के साथ मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (MSRA) पर हस्ताक्षर किए हैं.

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गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) की बात करें तो यह जहाजों और फ्रिगेट्स के निर्माण में माहिर. NGC और P17B प्रोजेक्ट्स से इसे बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है. हालांकि रिस्क ये है कि चीन और दक्षिण कोरिया जैसे ग्‍लोबल लीडर्स के मुकाबले भारतीय शिपयार्ड उत्पादन क्षमता, डिजाइन, स्वचालन, कुशल श्रमशक्ति और वेंडर नेटवर्क के मामले में पीछे हैं. 

(Disclaimer: स्टॉक पर सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

Source: Financial Express