9 दिन में ₹27,000 करोड़ की बिकवाली! जानें क्यों लगातार नौवें दिन FIIs ने बाजार से निकाले पैसे

भारतीय शेयर बाजार पर फिलहाल तीन बड़े दबाव एक साथ हावी हैं- कंपनियों की कमजोर पहली तिमाही की कमाई (Q1 Earnings), अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाया गया 25% टैरिफ और डॉलर की मजबूती. इन सबका असर यह है कि फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स (FIIs) ने लगातार नौवें दिन भी बिकवाली जारी रखी.

शेयर बाजार से FIIs ने बीते नौ कारोबारी दिनों में टोटल ₹27,000 करोड़ की बिकवाली की है. सिर्फ गुरुवार यानी बीते दिन ही ₹5,600 करोड़ की बिकवाली दर्ज की गई. माना जा रहा है कि ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद निवेशकों में घबराहट और बढ़ी है.

रिकॉर्ड स्तर पर नेट शॉर्ट पोजिशन

कमजोर कमाई के आंकड़ों और निगेटिव वैश्विक संकेतों के बीच FIIs ने इंडेक्स फ्यूचर्स में रिकॉर्ड 90% तक नेट शॉर्ट पोजिशन बना ली है, जो जनवरी एक्सपायरी में बने 89% के हाई से भी ज्यादा है. अगस्त सीरीज की शुरुआत में FIIs का लॉन्ग-टू-शॉर्ट रेश्यो सिर्फ 0.11 रह गया है, जो मार्च 2023 के बाद सबसे निचला स्तर है. इसका मतलब है कि उनके कुल इंडेक्स फ्यूचर्स पोजिशन में 90% हिस्सेदारी शॉर्ट साइड की है.

कमजोर नतीजों ने बढ़ाई चिंताएं

Q1 रिजल्ट सीजन अब तक काफी निराशाजनक रहा है. कई दिग्गज कंपनियों के नतीजों पर शेयरों में गिरावट देखने को मिली है. पिछले एक महीने में IT इंडेक्स में 10% की गिरावट आई है, जबकि Nifty Bank लगभग सपाट रहा है. ET की रिपोर्ट के अनुसार, देश के टॉप 9 प्राइवेट बैंकों का मुनाफा सिर्फ 2.7% बढ़ा है, जिससे यह साफ है कि आर्थिक ग्रोथ को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है.

डॉलर की मजबूती और ट्रंप के बयान से बढ़ा विदेशी निवेशकों का डर

डॉलर की ताकत बढ़ने से भी विदेशी निवेशक (FII) भारत से अपने पैसे निकाल रहे हैं. डॉलर इंडेक्स इस हफ्ते तेजी से बढ़कर 100 के ऊपर चला गया है, जो दो महीने में सबसे ज्यादा है. इसका मतलब है कि डॉलर बाकी प्रमुख करेंसी के मुकाबले मजबूत हो गया है. CLSA कंपनी के एक्सपर्ट विकाश जैन का कहना है कि ट्रंप की बातें भारत के अमेरिका और रूस के साथ व्यापार के फायदे पर सवाल उठा रही हैं. इससे निवेशकों का भारत को लेकर भरोसा कम हो रहा है. हालांकि, वे उम्मीद करते हैं कि बीच में भारत-अमेरिका संबंध फिर से बेहतर होंगे, लेकिन अभी बाजार के लिए ये समय थोड़ा मुश्किल है. दूसरी तरफ, मार्केट एक्सपर्ट सुनील सुब्रमण्यम बताते हैं कि विदेशी निवेशक पूरे महीने बेच रहे थे क्योंकि उन्हें पहले से ही अंदेशा था कि भारत के साथ कुछ अच्छे समझौते नहीं होंगे.

डिस्क्लेमर: जो सुझाव और राय एक्सपर्ट देते हैं, वो उनकी अपनी सोच है. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की राय नहीं होती.

Source: Economic Times