शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन सटीक जानकारी नहीं होने की वजह से बहुत सारे निवेशक अक्सर अपना नुकसान कर बैठते हैं। बाजार से मुनाफा कमाने के लिए सही निवेश रणनीति और धैर्य बेहद जरूरी होता है। अगर आपके पास धैर्य है, लेकिन सही निवेश रणनीति नहीं है तो नुकसान होना लाजमी है, जबकि सही रणनीति के साथ निवेश किया है, लेकिन संयम नहीं है तो तभी नुकसान का जोखिम बहुत होता है। ऐसे में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के को-फॉउंडर रामदेव अग्रवाल ने मल्टीबैगर को पहचानने का दो फॉर्मूला बताया है। इसके जरिए आसानी से मल्टीबैगर स्टॉक की पहचान की जा सकती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
लोग कंपाउंडिंग के पावर को नहीं समझते
रामदेव अग्रवाल ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में बताया कि ‘असल में कोई भी कंपाउंडिंग को नहीं समझता है। यहां तक कि IIT क्लास में भी, शायद केवल एक व्यक्ति ही इसे समझ पाता है। उन्होंने कहा कि कंपाउंडिंग के पावर को शायद ही कभी समझा जाता है क्योंकि आप भविष्य नहीं देख सकते।’
मल्टीबैगर स्ट्रक्चर के दो मुख्य कारक
दिग्गज निवेशक ने मल्टीबैगर स्ट्रक्चर को दो मुख्य कारकों में बांटा है। उन्होंने कहा कि जब अच्छे प्रबंधन और अनुकूल परिस्थितियों का संयोजन होता है और आप उस अनुकूल परिस्थितियों के शुरुआती चरण में होते हैं, तो आप मल्टीबैगर फॉर्मूले पर बैठे होते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि बेहतरीन इंस्टीट्यूशन के लोगों के लिए कंपाउंडिंग एक सहस्य बनी हुई है। इसका कारण उन्होंने बताया कि यह भविष्य से जुड़ी हुई है। कुछ ऐसा है जो अप्रत्याशित है जिसे समझना अक्सर ज्यादातर लोगों के लिए कठिन होता है।
ये है कंपाउंडिंग की ताकत
उन्होंने इस पहेली की ताकत को समझाते हुए कहा कि 25 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दस सालों में वेल्थ को दस गुना बढ़ा देता है। 35 प्रतिशत सालाना रिटर्न 20 बढ़ा देता है और 45% का सालाना मुनाफा वेल्थ को 40 गुना कर देता है। यह वह संपत्ति सृजन क्षमता है जिसे वे मानते हैं कि अधिक निवेशकों को समझना चाहिए – न केवल सैद्धांतिक रूप से, बल्कि दृढ़ विश्वास के साथ।
डिस्क्लेमर: ऊपर दिए गए विचार और सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, न कि मिंट के। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच करें।
Source: Mint