सितंबर में Fed रेट कट तय! क्या डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा रुपया?

अमेरिका के फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने जैक्सन होल सिंपोजियम में ऐसा संकेत दिया, जिसने दुनियाभर के निवेशकों को सतर्क कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में रोजगार की स्थिति कमजोर हो रही है, जिसे देखते हुए आने वाली बैठक में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि महंगाई यानी इन्फ्लेशन का खतरा अभी टला नहीं है और आने वाले महीनों में टैरिफ की वजह से इसमें बढ़ोतरी हो सकती है।

पॉवेल ने क्या कहा जैक्सन होल में?

यह पॉवेल का बतौर फेड चेयर के तौर पर आठवां और आखिरी भाषण था। उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व को इस वक्त मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उसे एक तरफ रोजगार बचाना है और दूसरी तरफ महंगाई पर काबू पाना है। उन्होंने बताया कि पॉलिसी रेट अब पिछले साल की तुलना में 100 बेसिस प्वाइंट्स न्यूट्रल लेवल के करीब है। मजदूरी और रोजगार की स्थिति फिलहाल स्थिर है, लेकिन नौकरियों की रफ्तार धीमी हुई है, जो पहले सोचा गया था उससे ज्यादा बड़ी गिरावट है।

अमेरिकी बाजार में तेजी, डॉलर टूटा

पॉवेल की इस बात का तुरंत असर अमेरिकी बाजारों पर दिखा। 10 साल के सरकारी बॉन्ड (ट्रेजरी यील्ड) 1.7% गिर गए और डॉलर इंडेक्स भी करीब 1% नीचे आ गया। वहीं, शेयर बाजार (NASDAQ, Dow Jones, S&P 500) 2% तक उछल गए। इसका मतलब है कि निवेशकों को अब यकीन है कि सितंबर में फेड दरें घटाएगा।

भारत पर क्या असर होगा?

अगर अमेरिका ब्याज दर घटाता है तो इसका असर भारत पर भी होगा। डॉलर कमजोर होगा तो रुपया थोड़ी मजबूती पकड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर फेड कटौती करता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास भी ब्याज दर घटाने का मौका होगा। इससे लोन सस्ते होंगे और अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत मिलेगी।

बॉन्ड और निवेशकों के लिए संकेत

बॉन्ड मार्केट के लिए ये खबर अच्छी है क्योंकि विदेशी निवेशक भारतीय सरकारी बॉन्ड खरीद रहे हैं। इससे लंबे समय के बॉन्ड्स में निवेश करने वालों को फायदा हो सकता है। निवेशकों के लिए सलाह है कि छोटे और लंबे समय वाले बॉन्ड दोनों में निवेश करके बैलेंस बनाएं।

रुपया कितना मजबूत होगा?

हालांकि रुपये के लिए सफर आसान नहीं होगा। आयातकों (विदेश से सामान मंगाने वालों) की डॉलर खरीद और टैरिफ की वजह से रुपया बहुत ऊपर नहीं जा पाएगा। इस समय रुपया करीब 87.50 के आसपास है। यानी थोड़ी मजबूती तो मिलेगी, लेकिन बड़ी छलांग की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

पॉवेल की स्पीच से साफ है कि सितंबर में रेट कट का फैसला लगभग तय है। मगर महंगाई और टैरिफ अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसे में भारत और निवेशकों को थोड़ी राहत तो मिलेगी, लेकिन तुरंत कोई बड़ा फायदा नहीं दिख रहा।

Source: Mint