सिगाची फैक्ट्री ब्लास्ट में 40 की मौत: न फायर NOC, न ही अलार्म सिस्टम ने चेताया, जांच में सामने आईं 10 बड़ी लापरवाहियां

Sigachi factory blast: सिगाची इंडस्ट्रीज के तेलंगाना प्लांट में हुए भीषण विस्फोट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आ रही है। इस हादसे में 40 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, जबकि 33 अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। यह हादसा राज्य के हालिया इतिहास के सबसे खतरनाक औद्योगिक हादसों में गिना जा रहा है। जांच में अब यह साफ होता जा रहा है कि इस हादसे से पहले कई चेतावानियों, तकनीकी दिक्कतों और नियामकीय खामियों को नजरअंदाज किया गया। एक्सपर्ट्स और अथॉरिटीज अब कई गंभीर गलतियों की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसके चलते यह हादसा हुआ।

1. खराब तापमान सेंसर और फेल अलार्म सिस्टम

सबसे बड़ी खामी कंपनी के टेंपरेचर मॉनिटरिंग और अलार्म सिस्टम में सामने आ रही है। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद डिजास्टर मैनेजमेंट और एसेट प्रोटेक्शन एजेंसी (HYDRAA) के कमिश्नर एवी रंगनाथ ने बताया कि फैक्ट्री में लगे तापमान मॉनिटरिंग सिस्टम ने समय से चेतावनी नहीं दी। जब तापमान बढ़ा और माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्यूलोज (MCC) का थर्मल डीकंपोजिशन शुरू हुआ, तब भी अलार्म सिस्टम एक्टिवेट नहीं हुआ। जांचकर्ताओं को तापमान सेंसर में खराबी होने का संदेह है।

2. ज्वलनशील पदार्थ का जरूरत से ज्यादा गर्म होना

फॉरेंसिक जांच में पाया गया कि हादसे की सीधी वजह MCC का अधिक तापमान पर जलना (थर्मल डीकंपोजिशन) थी। MCC एक ऐसा रसायन है जो 399 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पहुंचने पर स्वतः ही जल सकता है। जब यह पदार्थ ओवरहीट हुआ, तो डस्ट एक्सप्लोजन हुआ। यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इससे फैक्ट्री का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया और कई कर्मचारी फंस गए। TOI के मुताबिक, तेलंगाना फॉरेंसिक साइंस लैब ने पुष्टि की है कि MCC का अधिक तापमान ही विस्फोट की प्रमुख वजह रहा।

3. एक्सपायर्ड फायर सेफ्टी NOC

ब्लास्ट के समय फैक्ट्री के पास वैध फायर सेफ्टी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) नहीं था। इस बात की पुष्टि डिस्ट्रिक्ट फायर ऑफिसर ने CNN-News18 से बातचीत में की। इस खुलासे ने रेगुलेटरी कंप्लायंस पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब फैक्ट्री के पास वैध फायर क्लियरेंस ही नहीं थी, तो उसे फैक्ट्री में काम शुरू करने की अनुमति कैसे मिली? इससे यह भी संकेत मिलता है कि फायर सेफ्टी ऑडिट और जांच व्यवस्था में भारी खामियां हैं।

4. इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल

तेलंगाना फैक्ट्री डिपार्टमेंट के सूत्रों के मुताबिक, फैक्ट्री में लगाया गया इंटरलॉकिंग सिस्टम भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। यह सिस्टम तब एक्टिव होता है जब तापमान एक सुरक्षित सीमा से ऊपर चला जाए। ऐसे में या तो हीटिंग अपने आप बंद हो जाती है या अलार्म बजता है। लेकिन इस हादसे में इंटरलॉकिंग सिस्टम की विफलता के कारण तापमान लगातार बढ़ता रहा, जिससे MCC पदार्थ में ज्यादा गर्मी और दबाव बन गया।

5. चोक हुआ स्प्रे ड्रायर और घटिया रखरखाव

तेलंगाना स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (TSPCB) के एक अधिकारी ने TOI को बताया कि विस्फोट की मुख्य वजह स्प्रे ड्रायर में चोकिंग भी हो सकती है, जिससे खतरनाक तरीके से गर्मी और दबाव पैदा हो गया। अधिकारी के अनुसार, फैक्ट्री में मेंटीनेंस बिल्कुल मानकों के मुताबिक नहीं था। अगर इन ड्रायरों की नियमित सफाई और सर्विसिंग न हो, तो ये “बम की तरह खतरनाक” बन जाते हैं।

6. पुरानी मशीनों को लेकर दी गई चेतावनियों की अनदेखी

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राजनाला साई यशवंत की ओर से दर्ज कराई गई FIR में आरोप लगाया गया है कि फैक्ट्री के मजदूरों ने बार-बार पुरानी मशीनों के प्रति चिंता जताई थी। उनके मुताबिक, मैनेजमेंट ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया और खतरनाक, पुराने उपकरणों का इस्तेमाल जारी रखा। FIR में यह भी दावा किया गया है कि इस लापरवाही के चलते ही हादसा हुआ, और मामला “गैर इरादतन हत्या” के तहत दर्ज कराया गया है।

7. शिफ्ट टाइमिंग और लोगों की अधिक संख्या

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, विस्फोट उस समय हुआ जब कर्मचारियों की शिफ्ट बदल रही थी। यानी रात और दिन की शिफ्ट के कर्मचारी एक साथ ड्रायर एरिया में मौजूद थे, जो कि प्लांट का सबसे संवेदनशील और खतरनाक हिस्सा माना जाता है। उस समय पाउडर पैकिंग का कामभी चल रहा था, जिससे वहां भीड़भाड़ बहुत ज्यादा थी और इससे मौतों की संख्या और बढ़ गई।

8. फिल्टर्स के फेल होने की संभावना

जांचकर्ता अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या MCC पाउडर को प्रोसेस करने वाले फिल्टर या छलनियों (sieves) में कोई तकनीकी खराबी थी। ये उपकरण डस्ट कंट्रोल और क्वालिटी बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। अगर इनमें गड़बड़ी हो, तो डस्ट बिल्ड-अप विस्फोट का कारण बन सकता है।

9. नियामकीय निगरानी की कमी

रेगुलेटर्स ने खुद अपर्याप्त जांच और निगरानी को लेकर सवाल उठाए हैं। TSPCB के एक अधिकारी ने बताया कि स्प्रे ड्रायर जैसे इक्विपमेंट्स वेसल रेगुलेशन के अंदर आते हैं और इन्हें लेकर सख्त सेफ्टी प्रोटोकॉल है। उन्होंने कहा कि यह घटना सामान्य नहीं थी और पूरे निगरानी सिस्टम्स के री-इवैल्यूएशन की जरूरत है।

10. हादसे के बाद कंपनी नेतृत्व नदारद

हादसे के कई दिन बीत जाने के बावजूद, कंपनी का कोई भी बड़ा अधिकारी अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंचा है। तेलंगाना के इंडस्ट्रीज मिनिस्टर, डी श्रीधर बाबू ने कंपनी के इस रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “जब इतनी बड़ी त्रासदी हुई है, तो कंपनी के टॉप लीडरशिप को सामने आना चाहिए और जवाबदेही लेनी चाहिए। उनकी चुप्पी बेहद निंदनीय है।”

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Source: MoneyControl