Mazagon Dock Shipbuilders Shares: डिफेंस सेक्टर की सरकारी कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagon Dock Shipbuilders) ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण का ऐलान किया है। कंपनी ने श्रीलंका की कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी (Colombo Dockyard PLC) की 51% हिस्सेदारी को 452 करोड़ रुपये में खरीदने का ऐलान किया है। यह ऑल-कैश डील न केवल मझगांव डॉक के लिए, बल्कि भारत के लिए भी यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह किसी भी भारतीय शिपयार्ड कंपनी की ओर से किया गया पहला विदेशी अधिग्रहण है।
क्या है इस अधिग्रहण का उद्देश्य?
मझगांव डॉक ने इस अधिग्रहण को अपनी लॉन्ग-टर्म ग्रोथ रणनीति का हिस्सा बताया है। कंपनी का कहना है कि इससे उसे ग्लोबल शिपबिल्डिंग और रिपेयर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी। कोलंबो डॉकयार्ड के अधिग्रहण से मझगांव डॉक को कई तरह के ऑपरेशनल सिनर्जी, रिसर्च क्षमताओं में बढ़ोतरी और नए ग्लोबल बाजारों तक पहुंच मिलेगी।
मझगांव डॉक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कैप्टन जगमोहन ने इस सौदे को “केवल अधिग्रहण नहीं बल्कि एक रणनीतिक गेटवे” बताया। उन्होंने कहा, “यह हमारा पहला अंतरराष्ट्रीय विस्तार है, जो हमारे ग्लोबल शिपबिल्डिंग वेंचर बनने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। कोलंबो डॉकयार्ड की रणनीतिक स्थिति और इसकी स्थापित क्षमताएं हमें भारत की सीमाओं से बाहर भी एक रीजनल मैरीटाइम प्लेयर बनाएगा।”
कोलंबो डॉकयार्ड की खासियत
Colombo Dockyard PLC श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट पर स्थित है और पिछले 50 सालों से शिपबिल्डिंग और मरम्मत क्षेत्र में कार्यरत है। यह कंपनी कोलंबो स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है और उसने जापान, नॉर्वे, फ्रांस, UAE, भारत तथा अफ्रीकी देशों के लिए स्पेशल जहाजों का निर्माण किया है। इसके प्रमुख उत्पादों में ऑफशोर सपोर्ट वेसल्स, केबल-लेइंग शिप्स, टैंकर और पेट्रोल बोट्स शामिल हैं। यह श्रीलंका की इकलौती शिपयार्ड कंपनी है जो इन-हाउस डिजाइन से लेकर एडवांस मरम्मत और मरीन स्टील फैब्रिकेशन तक की पूरी सेवाएं प्रदान करती है।
सौदे से भारत को क्या फायदा?
यह अधिग्रहण भारत के लिए कई नजरिए से लाभकारी सिद्ध हो सकता है:
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ेगा प्रभाव: कोलंबो पोर्ट की भौगोलिक स्थिति भारत के लिए सामरिक नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र ग्लोबल व्यापार के लिहाज से एक प्रमुख समुद्री गलियारा है।
ग्लोबल कॉम्पिटीशन में बढ़त: इस सौदे से मझगांव डॉक की ग्लोबल उपस्थिति मजबूत होगी और वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों जैसे कोरिया, जापान और चीन के समकक्ष आ सकेगा।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा: भारतीय तकनीक, ह्यूमन रिसोर्स और सप्लाई चेन का विस्तार विदेशों तक होगा।
कोलंबो डॉकयार्ड को क्या मिलेगा?
कोलंबो डॉकयार्ड ने साल 2024 में 2.48 अरब श्रीलंकन रुपी (करीब ₹70.7 करोड़) का घाटा दर्ज किया था। फिलहाल यह जापानी कंपनी Onomichi Dockyard के नियंत्रण में है, जो जापानी और श्रीलंकाई सरकारों से आर्थिक सहायता मांग रही थी। ऐसे में मझंगाव डॉक का निवेश कोलंबो डॉकयार्ड के लिए वित्तीय सुधार और दीर्घकालिक स्थायित्व का माध्यम बन सकता है।
MDL के एक अधिकारी ने बताया, “MDL की तकनीकी सहायता, भारतीय सप्लाई चेन तक पहुंच और भारतीय व सहयोगी बाजारों में एंट्री कोलंबो डॉकयार्ड के लिए नए अवसर पैदा कर सकती है।”
इस डील के ऐलान के बाद निवेशकों की नजरें अब सोमवार 30 जून को शेयर बाजार के कारोबार पर टिकी हैं। देखना होगा कि इस डील का मझगांव डॉक के शेयरों पर क्या असर देखने को मिलता है?
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Source: MoneyControl