वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा – NBFC अब Shodow Bank नहीं हैं, कमर्शियल बैंकों के लिए क्रेडिट डिस्बर्सल पर जोर की जरूरत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) अब ‘शैडो बैंक’ नहीं हैं. मजबूत नियमों और निगरानी ने NBFC को फाइनेंशियल सिस्टम और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है. वित्त मंत्री का यह बयान राजधानी में NBFC कॉन्क्लेव 2025 को संबोधित करने के दौरान आया. इस दौरान उन्होंने कहा कि NBFC की ओर से दिया गया कुल कर्ज कमर्शियल बैंकों के कर्ज का 24% है.

उन्होंने कहा, “यह आंकड़ा आसानी से 50% तक पहुंच सकता है.” मार्च 2021 में NBFC का कुल कर्ज 24 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च 2025 तक दोगुना होकर 48 लाख करोड़ रुपये हो गया. देश में करीब 9,000 NBFC रजिस्टर्ड हैं.

पिछले पांच सालों में NBFC की स्थिति मजबूत हुई है. कैपिटल रिजर्व, ब्याज मार्जिन और कम NPA इसकी गवाही देती हैं. मार्च 2021 में NBFC का सकल NPA 6.4% था, जो मार्च 2025 में घटकर 3% हो गया. रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) 1.11% से बढ़कर 2.4% हो गया.

बैंकों के साथ सहयोग
सीतारमण ने कहा कि NBFC और बैंकों के बीच सहयोग से बेहतर परिणाम मिले हैं, खासकर को-लेंडिंग के जरिए. उन्होंने सुझाव दिया कि को-लेंडिंग को और मजबूत और बड़े पैमाने पर लागू करना चाहिए. डिजिटल को-लेंडिंग इंफ्रा, एकसमान ऑनबोर्डिंग मानक और इंटरऑपरेबल सर्विसिंग प्लेटफॉर्म से कम सेवा वाले क्षेत्रों में कर्ज प्रवाह बढ़ेगा. NBFC को 20% कर्ज बैंकों के साथ को-लेंडिंग इंफ्रा में देना चाहिए.
हाल के नियम
रिजर्व बैंक ने हाल में बैंकों के कर्ज पर रिस्क वेटेज को बहाल किया और फाइनेंशियल स्थिति को आसान किया, जिससे NBFC को फायदा होगा. सीतारमण ने NBFC से कहा कि वे सस्ते फंड का लाभ ग्राहकों को दें.

Source: CNBC