लगातार चौथे महीने FPI की बिकवाली रही जारी, जुलाई में 455 करोड़ रुपये की हुई निकासी

FPI Outflows India: जुलाई में लगातार चौथे महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने डेट मार्केट से बिकवाली जारी रखी। क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCIL) के डेटा के मुताबिक, जुलाई में FPI ने 455 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इस फाइनेंशियल ईयर में अब तक विदेशी निवेशकों ने कुल 23,435 करोड़ रुपये का आउटफ्लो किया है। अमेरिकी टैरिफ ऐलान और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच रुपये पर बढ़ते दबाव ने इस बिकवाली को बल दिया है।

ट्रंप टैरिफ बिकवाली को दिया बल

जुलाई में भारतीय डेट मार्केट में उतार-चढ़ाव देखा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत से इंपोर्ट पर 25% टैरिफ लगाने के ऐलान ने रुपये को और कमजोर किया है। 31 जुलाई को रुपया 87.60 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ, जो सितंबर 2022 के बाद सबसे बड़ी मासिक गिरावट थी। इसने विदेशी निवेशकों का भरोसे में कमी आई है। दरअसल, जब रुपया कमजोर होता है, तब विदेशी निवेशकों की इन्वेस्टमेंट वैल्यू घटने का खतरा बढ़ गया। इसके अलावा, ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितता और भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बातचीत की अनिश्चित दिशा ने भी FPI की बिकवाली को बढ़ावा दिया।

रेपो रेट में कटौती के फैसले का भी पड़ा असर

बता दें कि जुलाई के मध्य में कुछ समय के लिए FPI ने इंडियन डेट मार्केट में पैसा लगाया। यह इंफ्लो उस समय देखा गया, जब कमजोर घरेलू मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने अगस्त में RBI की रेट कट की उम्मीदें बढ़ाई थीं। अप्रैल में खुदरा महंगाई 3.16% के छह साल के निचले स्तर पर थी, जिससे निवेशकों को लगा कि आरबीआई ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। लेकिन 25 जुलाई को RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ कर दिया कि भविष्य के रेट फैसले शॉर्ट टर्म डेटा के बजाय लॉन्ग टर्म के मुद्रास्फीति और विकास अनुमानों पर आधारित होंगे। इस बयान ने ब्याज कटौती की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, जिसके बाद एफपीआई ने फिर से बिकवाली शुरू कर दी।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें व्यक्त किए गए विचार और सिफारिशें संबंधित विशेषज्ञों या ब्रोकिंग फर्म्स के निजी मत हैं, न कि लेखक या मिंट के। निवेश से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है, क्योंकि बाजार की स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं और हर निवेशक की परिस्थिति भिन्न होती है।

Source: Mint