डेटा के मुताबिक, सबसे ज्यादा हिस्सेदारी SBI म्यूचुअल फंड के पास है, जिसने जून तिमाही में 9.57% स्टेक होल्ड किया. इसके बाद पराग पारिख म्यूचुअल फंड ने 5.06%, ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने 4.73% और मिराए एसेट म्यूचुअल फंड ने 2.35% हिस्सेदारी अपने पास रखी.
FPI और रिटेल निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी
जहां म्यूचुअल फंड्स थोड़े सतर्क नजर आए, वहीं फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) और रिटेल निवेशकों ने IEX में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है. इसका सीधा संकेत यह है कि छोटे और अंतरराष्ट्रीय निवेशक कंपनी के भविष्य को लेकर पॉजिटिव हैं. जून 2025 तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, Indian Energy Exchange में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 18.53% हो गई है, जो मार्च 2025 में 16.12% थी. BSE की ओर से जारी तिमाही आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है.
MIT और एक्वामरीन मास्टर फंड ने भी किया निवेश
FPI कैटेगरी के अंतर्गत मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने IEX में 1.63% की हिस्सेदारी ली है. वहीं, FPI कैटेगरी II में एक्वामरीन मास्टर फंड एल.पी. की हिस्सेदारी 1.05% है.
पब्लिक शेयरहोल्डिंग डेटा बताता है कि रिटेल निवेशकों (वो शेयरधारक जिनकी इन्वेस्टमेंट अमाउंट ₹2 लाख तक की है) की हिस्सेदारी मार्च 2025 में 28.09% थी, जो जून तिमाही में बढ़कर 29.42% हो गई है. हालांकि, ₹2 लाख से ज्यादा की पूंजी वाले इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स की हिस्सेदारी मामूली घटकर 1.56% रह गई, जो मार्च में 1.57% थी.
बड़ी गिरावट का सामना कर रहे हैं IEX के शेयर
जहां एक ओर एफपीआई और आम निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर IEX के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई है. आज IEX का शेयर 27.89% की गिरावट के साथ 135.49 रुपए के स्तर पर बंद हुआ. पिछले 5 दिन में इस शेयर में 34.05% की गिरावट देखने को मिली है. यह गिरावट तब देखने को मिली जब सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (CERC) ने पावर सेक्टर में मार्केट कपलिंग लागू करने की मंजूरी दे दी. माना जा रहा है कि इस कदम से IEX की मौजूदा भूमिका पर असर पड़ सकता है, क्योंकि मार्केट कपलिंग से सभी एक्सचेंजों के बीच एक कॉमन प्राइस डिस्कवरी मैकेनिज्म लागू होगा.
जनवरी 2026 से बदल जाएगा बिजली खरीदी-बिक्री का तरीका
भारत के बिजली बाजार में बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है. CERC ने फैसला लिया है कि जनवरी 2026 से बिजली की खरीद-बिक्री (डे-अहेड मार्केट) का तरीका पूरी तरह से बदलेगा. अब तक, अलग-अलग पावर एक्सचेंज कंपनियां जैसे IEX खुद ही खरीदी और बिक्री के ऑर्डर लेती थीं और अपने प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग कीमतें तय करती थीं. लेकिन अब, एक सेंट्रल ऑपरेटर (मार्केट कप्लिंग ऑपरेटर – MCO) बनाया जाएगा. सभी कंपनियों को अपने ग्राहक के ऑर्डर उसी को भेजने होंगे. MCO सभी ऑर्डर को एक साथ मिलाकर एक ही बिजली की कीमत तय करेगा जो सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होगी.
IEX को क्यों होगा नुकसान?
अब तक IEX इस बाजार में सबसे आगे था, लेकिन नए सिस्टम के बाद उसकी बाजार में पकड़ कमजोर हो सकती है. क्योंकि अब सभी एक्सचेंजों के लिए एक जैसी कीमत होगी, तो IEX की लागत पर पकड़ और मुनाफे का फायदा घट सकता है.
डिस्क्लेमर : यह सिर्फ जानकारी है. इसका मतलब ये नहीं है कि हम आपको किसी भी शेयर में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं. स्टॉक में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी होता है. इसलिए किसी भी फैसले से पहले खुद सोचें, समझें या किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.
Source: Economic Times