मोतीलाल ओसवाल ने 65 रुपये के एनर्जी स्टॉक को दी खरीदने की सलाह, कहा 24% तक की आ सकती है तेज़ी, इन कारणों से आ सकती है रैली

नई दिल्ली: शुक्रवार को एनर्जी सेक्टर की कंपनी Suzlon Energy Ltd के स्टॉक में गिरावट देखने को मिल रही है. सुबह के कारोबार के दौरान से लेकर ख़बर लिखे जाने तक कंपनी के शेयर लाल निशान पर ट्रेड कर रहे थे. लेकिन ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि इस स्टॉक में आने वाले समय में उछाल देखने को मिल सकती है.

क्या कहा ब्रोकरेज ने?

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने स्टॉक पर ‘बाय’ की रेटिंग दी है. जिसके लिए ब्रोकरेज ने स्टॉक पर 82 रुपये के अपने पहले के टारगेट प्राइस को बरकरार रखा है. यह टारगेट प्राइस स्टॉक के पिछले बंद भाव से 24 प्रतिशत की तेज़ी की संभावना को दर्शाता है. यह इस स्टॉक पर कवरेज करने वाले सभी एक्सपर्ट्स द्वारा दिए जाने वाले टारगेट प्राइस में सबसे हाइयेस्ट है.
मोतीलाल ओसवाल कई अच्छी घटनाक्रमों के कारण सुजलॉन एनर्जी को लेकर पॉजिटिव है. विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स में स्थानीय सामग्री की आवश्यकता वाले एक नए सरकारी नियम (आरएलएमएम अधिसूचना) के वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही तक लागू होने की उम्मीद है, और डेवलपर्स ने इसे विलंबित रूप से लागू करने का अनुरोध किया है, ताकि बिजनेस को तैयारी का समय मिल सके.

सुजलॉन एनटीपीसी से 1.5 गीगावाट की परियोजना सहित बड़े ऑर्डर हासिल करने की स्थिति में है, और वित्त वर्ष 26 में 4 गीगावाट के नए ऑर्डर मिलने की उम्मीद है, जिससे इसकी कुल ऑर्डर बुक बढ़कर 6.56 गीगावाट हो जाएगी.
इसके अलावा, अगले चार वर्षों में इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन छूटों को धीरे-धीरे हटाने से भीड़भाड़ कम होगी और प्रोजेक्ट के सुचारू निष्पादन में मदद मिलेगी, ईपीसी कॉन्ट्रैक्ट की बढ़ती हिस्सेदारी—जो अब 50% है—सुजलॉन की एक्जीक्यूशन विज़िबिलिटी और प्रोजेक्ट कंट्रोल में भी सुधार करती है.
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि सुजलॉन एनर्जी के लिए उसका टारगेट प्राइस कंपनी के सामान्य मूल्यांकन से थोड़ा अधिक है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सुजलॉन के बिजनेस परफॉरमेंस और प्रॉफिट में अभी सुधार होना शुरू हुआ है, और ब्रोकरेज को आगे भी बेहतर नतीजों की उम्मीद है.
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि सुजलॉन एनर्जी कई सकारात्मक कारकों के कारण विकास की अच्छी स्थिति में है. इनमें नए सरकारी नियम शामिल हैं जिनके तहत ज़्यादा स्थानीय रूप से निर्मित पुर्जों के इस्तेमाल की ज़रूरत है, जिससे सुजलॉन को फ़ायदा होगा. कंपनी के पास एक मज़बूत ऑर्डर बुक भी है जिससे उसे भविष्य के रेवेन्यू की स्पष्ट जानकारी मिलती है. इसके अलावा, सुजलॉन पहले से ज़मीन खरीदकर और अपनी ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) सेवाओं का विस्तार करके प्रोजेक्ट को पूरा करने की अपनी क्षमता में सुधार कर रही है.

(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)

Source: Economic Times