क्या भारतीय शेयर बाजार का वैल्यूएशन एक बार फिर से महंगा हो गया है? ये सवाल ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सिटीग्रुप की एक रिपोर्ट के बाद से फिर से उठने लगा है। सिटीग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय शेयरों की वैल्यूएशन को ऊंचा बताया है और इनकी रेटिंग को ‘ओवरवेट’ से घटाकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। सिटीग्रुप की नजर में अब चीन और साउथ कोरिया के बाजार भारत से ज्यादा आकर्षक लग रहे हैं।
ब्रोकरेज ने कहा है कि भले ही भारत की मैक्रो इकॉनॉमिक स्थिति बाकी इमर्जिंग देशों की तुलना में मजबूत बनी हुई है, लेकिन ऊंचे वैल्यूएशन और धीमी होती ईपीएस ग्रोथ अब चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। इसी वजह से ब्रोकरेज ने भारतीय शेयरों की रेटिंग को घटाया है।
सिटी ने कहा कि भारत के मुकाबले चीन और साउथ कोरिया के बाजार ज्यादा आकर्षक लग रहे हैं। ब्रोकरेज ने कहा कि इन दोनों देशों के शेयर बाजारों की वैल्यूएशन तुलनात्मक रूप से सस्ती है और इनकी कमाई की उम्मीदें यहां से बेहतर है। यही वजह है कि सिटी ने इन दोनों देशों की रेटिंग को बढ़ाकर ‘ओवरवेट’ कर दिया है।
भारत, चीन और साउथ कोरिया के शेयर बाजारों की तुलना करें तो, सेंसेक्स में इस साल अब तक लगभग 4.75% और निफ्टी में करीब 5.75% की तेजी आई है। वहीं पर साउथ कोरिया के बेंचमार्क KOSPI इंडेक्स में इस साल अब तक करीब 33 फीसदी की तेजी आ चुकी है। चीन का बेंचमार्क इंडेक्स CSI 300 पिछले 2 सालों से निगेटेव रिटर्न दे रहा था, लेकिन इस साल उसमें भी करीब 21 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
सिटीग्रुप ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों में इस साल की शुरुआत में अच्छी गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन अप्रैल के बाद से बाजार ने फिर से वापसी की है। निफ्टी अब अप्रैल के अपने निचले स्तरों से करीब 15% ऊपर आ चुका है, जिससे वैल्यूएशन एक बार फिर महंगे स्तर पर पहुंच गया है।
लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए चिंता की बात नहीं: प्रशांत जैन
वैसे एक तथ्य यह भी है कि जब भी बाजार ऊंचाई पर होता है, ‘तो बाजार के वैल्यूशन को लेकर सवाल जरूर उठता है। लेकिन जाने-माने मार्केट एक्सपर्ट और 3P इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर प्रशांत जैन का नजरिया इस पर थोड़ा अलग है। जैन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 की अनुमानित अर्निंग्स के आधार पर निफ्टी अभी 22x के P/E पर ट्रेड कर रहा है, जो कि पिछले 15 साल के औसत से 29% ज्यादा है। लेकिन फिर भी वे इसे लंबे समय के निवेशकों के लिए चिंता की बात नहीं मानते।
प्रशांत जैन ने हाल ही में निवेशकों को लिखे एक न्यूजलेटर में कहा कि उनके हिसाब से लॉन्ग-टर्म इनवेस्टर्स को इस ऊंचे वैल्यूएशन से नहीं डरना चाहिए।प्रशांत जैन का तर्क है कि महंगाई में गिरावट, चालू खाते के घाटे में कमी और भारत-अमेरिका के बॉन्ड यील्ड के अंतर में गिरावट के कारण पूंजी की लागत में बड़ी कमी आई है, जिससे उच्च वैल्यूएशन भी वाजिब लगने लगते हैं।
लेकिन प्रशांत जैन इसके साथ ये भी मानते हैं कि मार्केट में अब ज्यादा रेटिंग अपग्रेड की गुंजाइश नहीं बची है। इसीलिए निवेशकों को अपनी रिटर्न की उम्मीदों को थोड़ा कम करना चाहिए। उनका कहना है कि “निवेशकों को अब लॉन्ग टर्म में 10-12% के आसपास की रिटर्न की उम्मीद रखनी चाहिए, जो देश की नॉमिनल GDP ग्रोथ के बराबर होगी।”
उन्होंने अंत में यह भी सुझाव दिया कि ऐसे बाजार में सबसे बेहतर रणनीति यही होगी कि डिप्स यानी गिरावट पर खरीदारी की जाए और धीरे-धीरे कई चरण में निवेश किया जाए। यहां तक कि अगर बाजार में 3-5% की भी गिरावट आती है, तो यह IRR (इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न) को 1-2% तक बढ़ा सकती है।
डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।
Source: MoneyControl