Banking Stocks to Buy : अगर आपको पोर्टफोलियो के लिए मजबूत बैंकिंग शेयरों की तलाश है तो निवेश का अच्छा मौका है. अर्निंग सीजन के बाद ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने सेक्टर का रिव्यू करते हुए 3 बैंकिंग स्टॉक पर निवेश की सलाह दी है. अर्निंग सीजन के बाद इन शेयरों के फंडामेंटल मजबूत दिख रहे हैं और आने वाले दिनों में इनमें अच्छी ग्रोथ दिख सकती है.
मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर की अर्निंग अब ज्यादातर नॉन कोर ट्रेजरी गेन से आ रही है, जबकि NII (नेट इंटरेस्ट इनकम) की ग्रोथ काफी धीमी हो गई है. इसकी वजह है लोन का तेजी से री-प्राइस होना और फंडिंग कॉस्ट का बढ़ना. ब्रोकरेज द्वारा कवरेज वाले बैंकों में, 1QFY26 में NII सालाना बेसिस पर 1% गिरा, जबकि FY24 में यह 16% बढ़ा था.
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ट्रेजरी गेंस क्यों बढ़े
ट्रेजरी गेंस इसलिए बढ़े, क्योंकि G-sec बॉन्ड्स में तेजी आई है, RBI ने रेपो रेट लगातार कम किए हैं. ओपेन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) किए गए, जबकि लिक्विडिटी (नकदी की स्थिति) बेहतर रही है.
निजी बैंक (Private Banks) : 1QFY26 में कुल 5970 करोड़ रुपये ट्रेजरी गेन, जबकि 4QFY25 में यह सिर्फ 1750 करोड़ रुपये था.
सरकारी बैंक (PSBs) : 1QFY26 में कुल 13230 करोड़ रुपये ट्रेजरी गेन, जो 4QFY25 के 11590 करोड़ रुपये से करीब 14% अधिक (QoQ) है.
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ट्रेजरी गेंस का योगदान : सरकारी बैंकों (PSBs) में 22–40% और निजी बैंकों में 5–30% तक अन्य आय (अदर इनकम) का हिस्सा अब ट्रेजरी गेन से आ रहा है. यह सरकारी बैंकों के PBT (प्रॉफिट बिफोर टैक्स) का 24% और प्राइवेट बैंकों के PBT का 10% है.
PAT और NII ग्रोथ की उम्मीद
धीरे-धीरे डिपॉजिट री-प्राइसिंग, लोन ग्रोथ की रिकवरी, और CRR कटौती का फायदा मिलने से, फाइनेंशियल ईयर 2026 की दूसरी छमाही से NII ग्रोथ बेहतर होने की उम्मीद है. इससे कमाई में सुधार होगा.
फाइनेंशियल ईयर 2026 की पहली छमाही में PAT (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) 4% गिरने का अनुमान है, लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2026 की दूसरी छमाही में PAT 9% बढ़ने का अनुमान है.
लॉन्ग-टर्म आउटलुक
FY26-28E के दौरान कमाई (अर्निंग) 17% CAGR से बढ़ सकती है. फाइनेंशियल ईयर 2026 की दूसरी छमाही में संभावित रिकवरी का मतलब होगा कि कई सालों से चल रही कमाई की सुस्ती खत्म हो सकती है.
टॉप आइडियाज
ICICI Bank (आईसीआईसीआई बैंक)
HDFC Bank (एचडीएफसी बैंक)
SBI (एसबीआई)
लोन री-प्राइसिंग जारी, मार्जिन का दबाव घटेगा
ब्रोकरेज को लगता है कि NIMs (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) पर दबाव 1HFY26 और शायद 3QFY26 तक रहेगा, क्योंकि लोन री-प्राइसिंग जारी है. लेकिन धीरे-धीरे फंडिंग कॉस्ट कम होने से 2HFY26 से मार्जिन में सुधार होगा और FY27E में कमाई अच्छी तरह बढ़ेगी.
बैंक अब छोटी-छोटी और स्थिर डिपॉजिट फ्रेंचाइज बनाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, ताकि मार्जिन दबाव कम हो और बैलेंस शीट मजबूत रहे. मौजूदा माहौल में मजबूत लायबिलिटी प्रोफाइल एक बड़ा अंतर पैदा कर रही है.
ब्रोकरेज को उम्मीद है कि लोन ग्रोथ FY26E में करीब 11% रहेगी और FY27E में बढ़कर 12.5% तक पहुंचेगी. खर्च बढ़ना, GST और डायरेक्ट टैक्स रेट घटने से, अनसिक्योर्ड लोन डिफॉल्ट्स सामान्य होने से और ब्याज लागत कम होने से यह रिकवरी आएगी. 2HFY26 में अर्निंग रिकवरी का मतलब होगा कि कई सालों से चल रही कमाई में सुस्ती खत्म हो सकती है, और पूरा बैंकिंग सेक्टर मजबूत प्रदर्शन कर सकता है.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं है. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)
Source: Financial Express