पीएल कैपिटल का यह भी मानना है कि भारतीय बाजार पर केंद्रित क्षेत्र—जैसे डॉमेस्टिक फार्मा, कुछ उपभोक्ता वस्तुएँ (स्टेपल), बैंक, कैपिटल गुड्स, डिफेंस और पावर—निकट भविष्य में अन्य सेक्टर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे.
पीएल कैपिटल को अपने दायरे में आने वाली कंपनियों के कुल रेवेन्यू में 2% की मामूली वृद्धि की उम्मीद है. हालाँकि, मुनाफे में और भी तेज़ी से वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसमें EBITDA में 15% और PBT (प्रॉफिट बिफोर टैक्स) में 15.6% की वृद्धि शामिल है. अगर हम तेल और गैस क्षेत्र को छोड़ दें, तो EBITDA में 10.5% और PBT में 7.7% की वृद्धि होने की उम्मीद है.
मुख्य वृद्धि टेलीकॉम, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC), इलेक्ट्रॉनिक्स मन्युफैक्चिरिंग सर्विसेज (EMS), सीमेंट, कैपिटल गुड्स और तेल एवं गैस जैसे सेक्टर से आएगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि ये सेक्टर बेहतर ऑपरेटिंग लिवरेज और बेहतर लाभ मार्जिन से फायदा उठा रहे हैं. दूसरी ओर, बिल्डिंग मटैरियल्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ट्रेवल और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे सेक्टर के मुनाफे (PBT) में गिरावट आने की उम्मीद है.
पीएल कैपिटल का मानना है कि भारतीय बाजार पर केंद्रित क्षेत्र शेयर बाजार की वृद्धि के अगले चरण को गति देंगे. इसलिए, वे बैंक, स्वास्थ्य सेवा, कंज्यूमर, टेलीकॉम और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टर्स में अधिक (ओवरवेट) निवेश कर रहे हैं. साथ ही, वे आईटी सेवाओं, सीमेंट, मेटल और तेल एवं गैस जैसे सेक्टर में कम (अंडरवेट) निवेश कर रहे हैं.
लार्जकैप कंपनियों में, पीएल कैपिटल आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, आईटीसी, टाइटन और कोटक महिंद्रा बैंक के प्रति पॉजिटिव है. मिड और स्मॉलकैप कंपनियों में, उनकी शीर्ष पसंद केईआई इंडस्ट्रीज, एस्ट्रल लिमिटेड और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) हैं.
पीएल कैपिटल के डायरेक्टर रिसर्च, अमनीश अग्रवाल ने कहा कि हालांकि समग्र अर्थव्यवस्था अभी पूरी तरह से उबर नहीं पाई है, फिर भी कुछ सकारात्मक संकेत सामने आ रहे हैं. कर कटौती, अच्छी मानसूनी बारिश, कम महंगाई और घटती ब्याज दरें कंज्यूमर खर्च को बढ़ावा देने में मदद कर रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी आश्वस्त महसूस कर रहे हैं, और शहर में रहने वाले उपभोक्ता भी धीरे-धीरे अधिक खर्च करने लगे हैं, खासकर गैर-ज़रूरी वस्तुओं पर. उन्होंने आगे कहा कि 2026-27 में भारत की आर्थिक वृद्धि मुख्य रूप से तीन चीजों पर निर्भर करेगी: मज़बूत सरकारी खर्च, प्राइवेट इंवेस्टमेंट में वृद्धि और उपभोक्ता विश्वास में निरंतर सुधार.
(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)
Source: Economic Times