बाज़ार बंद होने के बाद अनिल अंबानी की कंपनी पर आया बड़ी राहत वाला अपडेट, अब सोमवार को शेयर प्राइस झूमेंगे

कारोबारी अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शुक्रवार को महत्वपूर्ण अपडेट आया है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की क्रेडिट रेटिंग को इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने तीन पायदान ऊपर उठाकर ‘IND B/Stable/IND A4’ रेटिंग दी है, जो पहले ‘IND D’ रेटिंग थी. कंपनी ने आज बाज़ार बंद होने के बाद एक्सचेंजों को जानकारी दी.

एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया कि यह अपग्रेड उसकी मौजूदा नॉन फंड बेस्ड वर्किंग कैपिटल लिमिट्स पर किया गया है. एक्सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कंपनी के लगभग कर्ज़ मुक्त प्रोफ़ाइल को देखते हुए छह साल बाद ‘डिफ़ॉल्ट’ रेटिंग भी हटा दी है.
एक्सचेंज फाइलिंग में कहा गया है, “यह अपग्रेड कंपनी की क्रेडिट प्रोफ़ाइल में तीन पायदानों का उल्लेखनीय सुधार दर्शाता है, जो छह साल तक IND D रेटिंग स्तर पर रहने के बाद हासिल हुआ है. यह अपग्रेड कंपनी के व्यापक डीलीवरेजिंग प्रयासों को भी दर्शाता है, जिसके परिणामस्वरूप बैंकों और वित्तीय संस्थानों का कर्ज़ शून्य हो गया है.”

Reliance Infrastructure Ltd के शेयर शुक्रवार को एनएसई पर 378.50 रुपये पर बंद हुए और इनमें 1.70% की तेज़ी देखी गई. कंपनी का मार्केट कैप 15.31 हज़ार करोड़ रुपए है. रिलायंस इन्फ्रा पर इस अपडेट का असर सोमवार को कंपनी के शेयर प्राइस पर पड़ सकता है और कंपनी के शेयर बढ़त में आ सकते हैं.
रिलायंस इंफ्रा के शेयर पिछले एक साल से शानदार फॉर्म में हैं और इस दौरान इनमें 97% की उछाल आई है. इस साल अब तक इसका रिटर्न 18% रहा है, जो प्रमुख सूचकांकों निफ्टी और सेंसेक्स से काफी ज़्यादा है. निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में 3% से थोड़ा ज़्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है.

पिछले छह महीनों में उनकी समूह की दो कंपनी रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर,के बाजार पूंजीकरण में क्रमशः 1.5 गुना और 1.9 गुना की वृद्धि हुई है. इसके अलावा एफआईआई होल्डिंग्स में वृद्धि हुई है और ग्रुप के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसमें सोलर-प्लस-स्टोरेज मेगाप्रोजेक्ट और 10,000 करोड़ रुपये के स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट शामिल हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कंपनियां कर्ज मुक्त हैं। इसके अतिरिक्त, 17,600 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने की प्रक्रिया चल रही है.

Source: Economic Times