कंपनी को मिला पीएसयू से ऑर्डर
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एनएचपीसी से 390 मेगावाट के सोलर प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट मिला है, जिसमें बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) भी शामिल होगी. इस प्रोजेक्ट की टोटल सोलर कैपेसिटी 700 मेगावाट होगी, जिसमें एक बैटरी सिस्टम भी होगा जो 780 मेगावाट-घंटे बिजली इकट्ठा कर सकेगा, जिससे धूप न होने पर भी बिजली की सप्लाई में मदद मिलेगी.
इस प्रोजेक्ट में 3.13 रुपये प्रति यूनिट (kWh) की दर से बिजली बेची जाएगी. यह प्रोजेक्ट एनएचपीसी द्वारा जारी एक बड़े टेंडर से आई है, जिसमें 15 कंपनियों ने हिस्सा लिया था और 14 अंतिम ऑनलाइन बोली (ई-रिवर्स नीलामी) के लिए पात्र थीं. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने यह भी कहा कि टेंडर में उपलब्ध क्षमता से लगभग 4 गुना अधिक मांग थी, जो कड़ी प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है.
यह नया प्रोजेक्ट रिलायंस समूह की रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में उपस्थिति को काफ़ी बढ़ाएगा. रिलायंस पावर के मौजूदा प्रोजेक्ट (2.5 गीगावाट-पीक सोलर एनर्जी और 2.5 गीगावाट-घंटे बैटरी स्टोरेज) के साथ, समूह के पास अब 3 गीगावाट-पीक से अधिक सोलर एनर्जी कैपेसिटी और 3.5 गीगावाट-घंटे से अधिक बैटरी स्टोरेज कैपेसिटी है. इससे रिलायंस समूह भारत में सौर-प्लस-बैटरी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है.
यह प्रोजेक्ट एनएचपीसी की 1,200 मेगावाट सोलर एनर्जी और 600 मेगावाट/2,400 मेगावाट घंटा बैटरी स्टोरेज कैपेसिटी निर्मित करने की व्यापक योजना का हिस्सा है. कई कंपनियों की तीव्र रुचि दर्शाती है कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट की मांग बढ़ रही है जो विश्वसनीय रूप से (भंडारण के साथ) बिजली की सप्लाई कर सकें और पावर ग्रिड को स्थिर रखने में मदद कर सकें.
यह प्रोजेक्ट भारत के रिन्यूएबल एनर्जी की ओर रुख करने के मकसद का समर्थन करती है और यह भी दर्शाती है कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर ज़ोर दे रहा है.
रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ी
कंपनी के स्टॉक में रिटेल इंवेस्टर्स भी अपनी दिलचस्पी लेते हुए नज़र आ रहे है. ट्रेंडलाइन के मुताबिक, इस क्वार्टर में रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी कंपनी में 20.92 प्रतिशत की हो गई है, जो मार्च 2025 में 19.88 प्रतिशत थी. रिटेल इंवेस्टर्स वह इंवेस्टर्स हैं, जिनका कंपनी में 2 लाख रुपये तक का निवेश है.
Source: Economic Times