दुनिया डरी, बाजार भागा! एक के बाद एक झटकों के बीच यहां मिला जबरदस्त रिटर्न, अब आगे क्या होगा?

भारत समेत दुनियाभर के बाजारों के लिए 2025 की पहली छमाही बेहद उठा-पटक वाली रही. जियो-पॉलिटिकल तनाव, भारत-पाक सीमा पर संघर्ष और व्यापार से जुड़ी खबरों के बीच बाजार में उठा-पटक देखने को मिला. हालांकि, इस बीच निवेशकों ने कई मौकों पर खूब कमाई भी की है. घरेलू बाजार की बात करें तो 2025 की पहले 6 महीने के दौरान निफ्टी में 7.5% के करीब तेजी दिखी है. ग्लोबल बाजारों के प्रदर्शन की तुलना में देखें तो यह लगभग बराबर ही है. हालांकि, जर्मनी, हॉन्ग कॉन्ग और ब्राजील जैसे कुछ बाजारों में 10% से ज्यादा की भी तेजी दिखी है.

2025 में अब तक सबसे बड़ी तेजी दक्षिण कोरिया के कोस्पी इंडेक्स और जर्मनी के DAX में देखने को मिली है. डॉलर के हिसाब से इन दोनों बाजारों में 2025 के पहले 6 महीने के दौरान करीब 35% की बढ़त रही. इन बाजारों में बढ़त का एक कारण अमेरिकी डॉलर में बढ़त रही है.

डॉलर में कमजोरी का दिखा असर

आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के बीच इस दौरान अमेरिकी डॉलर में करीब 10% की गिरावट दिखी. ग्लोबल व्यापार को लेकर नीतियों में लगातार बदलाव, लोकल गवर्नेंस और जियो-पॉलिटिकल मोर्चे पर तनाव की वजह से निवेशकों ने डॉलर आधारित होल्डिंग्स को कम किया है. डॉलर में कमजोरी की यही सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है. अमेरिकी सरकार पर बढ़ते कर्ज के चलते भी डॉलर में कमजोरी दिखी.

बाजार में कई रिस्क को पहले से पचाया

इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों की ओर से नीतिगत ब्याज दरों में नरमी के रुख से भी ग्लोबल बाजारों में तेजी दिखी. अमेरिकी केंद्रीय बैंक यानी फेडरल रिजर्व ने सतर्क रुख अपनाते हुए भी आगे दरों में कटौती के संकेत दिए हैं. अमेरिका में महंगाई में नरमी दिखी है. इसके बाद S&P500 इंडेक्स 5.5% की ग्रोथ दिखी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार आमतौर पर किसी भी संभावित जोखिम को पचा लेता है. अमेरिका के टैरिफ एलान और मिडिल ईस्ट में तनाव को भी बाजार ने अब पचा लिया है.

बाजार में तेजी के सबसे बड़े कारण जानिए

मनीकंट्रोल ने अपनी एक रिपोर्ट में Emkay Investment Managers के मनीष सोंथालिया के हवाले से कहा है कि बाजार में अनुमान से बेहतर प्रदर्शन देखने को मिल रहा. दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट के कारण बाजार फंडामेंटल को नजरअंदाज कर रहा. इसके अलावा डॉलर में कमजोरी, और भारत से जुड़े मैक्रो-फैक्टर्स की वजह से भी तेजी दिखी है.

मार्च तिमाही में कंपनियों के नतीजे अनुमान से बेहतर रहे, जिससे बाजार को बूस्ट मिला. लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए RBI के उपाय, ब्याज दरों में कटौती से भी इस साल की पहली छमाही में घरेलू बाजार को सपोर्ट मिला है.

एक और एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा वैल्युएशन के हिसाब से बाजार में ग्लोबल अनिश्चितता और वोलेटिलिटी को पचा लिया है. बाजार मजबूत घरेलू ग्रोथ और पॉलिसी सपोर्ट के दम पर इन्हें संतुलित कर रहा. महंगा वैल्युएशन इन्हीं रिस्का प्रीमियम है. लेकिन, निवेशकों का फोकस अर्निंग्स ग्रोथ और मौक्रो-इकोनॉमिक स्टेबिलिटी पर है.

आगे बाजार को लेकर कैसे हैं संकेत?

आगे बाजार के आउटलुक की बात करें तो बाजार की चाल इस बात पर तय होगा कि ट्रेड पॉलिसी को लेकर क्या अपडेट्स आ रहे हैं, कंज्यूमर कॉन्फिडेंस के ट्रेंड्स कैसे हैं और अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई और दरों में कटौती की मांग के बीच कैसे संतुलन साधता है.

ग्लोबल कैपिटल फ्लो, दरों में कटौती की उम्मीद और ट्रेड पॉलिसी से घरेलू शेयर बाजार पर असर देखने को मिलेगा. इसके अलावा घरेलू पॉलिसी सपोर्ट और रिटेल निवेशकों की भागीदारी से भी बाजार पर असर देखने को मिलेगा.

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Source: CNBC