डिफेंस सेक्टर में हैवी बाइंग देखने को मिल रही, सरकार के इस कदम ने निवेशकों को दिलाया भरोसा

नई दिल्ली: शुक्रवार को डिफेंस कंपनियों के स्टॉक में तेज़ी देखने को मिल रही है. सेक्टोरल इंडेक्स में निफ्टी इंडिया डिफेंस ख़बर लिखे जाने तक 0.89 प्रतिशत की तेज़ी के साथ 8,934 के लेवल पर ट्रेड कर रहा था. कई डिफेंस कंपनियों के शेयर में रैली देखने को मिल रही है. इनमें Paras Defence के स्टॉक में तो 10 प्रतिशत का अपर सर्किट लग गया. वहीं DCX Systems, BEML, Cochin Shipyard, Mazagon Dockyard, HAL जैसे स्टॉक में 1 प्रतिशत से लेकर 4 प्रतिशत की तेज़ी देखने को मिल रही है.

क्या है कारण?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) ने करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये की 10 बड़ी रक्षा खरीद योजनाओं को मंजूरी दी है. सभी रक्षा सौदों को ‘बाय (इंडियन-आईडीडीएम)’ कैटेगरी के तहत मंजूरी दी गई है, जिसका मतलब है कि हथियारों और प्रणालियों को भारत में ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाना है. इस कदम का उद्देश्य देश के भीतर डिफेंस प्रोडक्शन को समर्थन देना और बढ़ाना है.
रक्षा मंत्रालय (MoD) ने कहा कि स्वीकृत खरीद में तीनों सशस्त्र बलों के लिए आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं.

इन चीज़ों को सेना की गतिशीलता बढ़ाने, एयर सिक्योरिटी में सुधार करने और सशस्त्र बलों के लिए सप्लाई और लॉजिस्टिक को और अधिक कुशल बनाने के लिए खरीदा जा रहा है.
डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) ने नौसेना के लिए मूर्ड माइंस, माइन काउंटर मेजर वेसल्स, सुपर रैपिड गन माउंट्स और सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स खरीदने को भी मंजूरी दे दी है. इन सिस्टम से नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए खतरों को कम करके समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की उम्मीद है.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय भारत को रक्षा क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के लक्ष्य का समर्थन करता है. सभी स्वीकृत परियोजनाएँ ‘बाय (इंडियन-स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित)’ कैटेगरी के अंतर्गत आती हैं, जिसका अर्थ है कि वे भारतीय कंपनियों द्वारा बनाई जाएँगी, जिससे स्थानीय डिफेंस बिजनेस को विकसित और मजबूत करने में मदद मिलेगी.

Source: Economic Times