ट्रंप की चेतावनी जो डॉलर को चुनौती देगा वह अमेरिका से टकराएगा; ब्रिक्स देशों पर लगाया जाएगा 10% का टैरिफ!

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अपने बयान की वजह से चर्चा में आ गए हैं। 9 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ब्रिक्स (BRICS) देशों का समूह डॉलर के खिलाफ बना हुआ एक गठबंधन है। इस गठबंधन का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने और सबसे मजबूत ग्लोबल करेंसी के रूप में उसे हटाना है। ट्रंप ने आगे कहा डॉलर राजा है और उसे कोई भी नहीं हटा सकता।

डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी के लहज़े में कहते हैं कि ब्रिक्स गठबंधन में शामिल सभी देशों को 10% का टैरिफ यानी कि आयात शुल्क लगाया जाएगा। ध्यान रहे ब्रिक्स गठबंधन में भारत भी शामिल है। भारत BRICS का संस्थापक सदस्य है। यानी भारत पर भी 10% का टैरिफ लगाई जा सकता है। जो भारत के नजरिए से चिंताजनक होगा है।

ट्रंप ने क्या कहा

ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स गठबंधन खेल खेलना चाहते हैं तो मैं भी यह खेल खेल सकता हूं इस गठबंधन में जो भी देश शामिल हैं उसे 10% का टैरिफ देना होगा। इन सभी देशों को इसलिए टैरिफ देना होगा क्योंकि वे देश इस गठबंधन में शामिल है। मेरे हिसाब से ये सारे देश ज्यादा दिन तक इस गठबंधन में शामिल नहीं रहेंगे। अगर हम डॉलर के ग्लोबल स्टैंडर्ड को खो देते हैं तो यह हमारे लिए एक बड़े युद्ध में हारने जैसा है। जिसके बाद हम पहले जैसे देश नहीं रह पाएंगे। डॉलर किंग है और उसे हम किंग बनाए रखेंगे। अगर कोई उसे चुनौती देना चाहता है तो उसको भारी कीमत चुकाना पड़ेगा। मेरे हिसाब से शायद ही कोई देश इस कीमत को चुकाने के लिए तैयार होगा।

हाल में हुई थी ब्रिक्स देशों की मीटिंग

ब्रिक्स देशों पर ट्रंप का आया यह बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में ही ब्रिक्स का 17वां शिखर सम्मेलन ब्राजील के देश में संपन्न हुआ है। जिसमें ब्रिक्स ऑर्गेनाइजेशन में शामिल सभी देश ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना और साउथ कोरिया शामिल हुआ था। इसके अलावा कई और देश जैसे मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया और इथोपिया ने भी भाग लिया है।

डॉलर का विकल्प का मुद्दा कब शुरू हुआ?

दरअसल साल 2022 में रूस ने ब्रिक्स देशों के लिए एक नई अंतरराष्ट्रीय रिजर्व करेंसी का प्रस्ताव दिया था। साथ ही उसी समय स्पष्ट कर दिया गया था कि यह नई अंतर्राष्ट्रीय रिजर्व करेंसी वर्तमान समय की ग्लोबल करेंसी डॉलर को दुनिया से हटाने के उद्देश्य के लिए नहीं है। ब्रिक्स देशों की नई अंतरराष्ट्रीय करेंसी केवल ग्लोबल मार्केट की एफिशिएंसी को बढ़ाने के लिए एक व्यावहारिक करेंसी विकल्प देना चाहते हैं। हालांकि इस खबर के बाद से अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर राजनीति बढ़ गई थी जो अभी तक देखी जा रही है।

भारत का क्या कहना है?

अमेरिकी डॉलर और ब्रिक्स की अंतर्राष्ट्रीय करेंसी के ऊपर भारत ने अपना स्पष्टीकरण पहले ही जारी कर दिया है जिसमें भारत ने कहा है कि ब्रिक्स देशों की अंतरराष्ट्रीय करेंसी डॉलर को कमजोर करने की किसी भी योजना का हिस्सा नहीं है। अक्टूबर 2024 में भारत के फॉरेन मिनिस्टर एस जयशंकर ने कहा था कि अमेरिका की नीतियां कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को काफी अधिक उलझा देती हैं। भारत केवल अपने हितों की रक्षा के लिए समाधान की तलाश कर रहा है उनका उद्देश्य किसी भी प्रकार से डॉलर को निशाना बनाना नहीं है। इसी मुद्दे पर दिसंबर 2024 में आरबीआई के उसे समय के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि इंडिया किसी भी प्रकार का डीडॉलराइजेशन नहीं कर रहा है।

ब्रिक्स क्या है?

ब्रिक्स एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक समूह है जिसमें दुनिया के तेजी से उभरती पांच अर्थव्यवस्थाएं ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल है। ब्रिक्स देशों की आबादी पूरी दुनिया का 45% आबादी है और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 35% से अधिक योगदान करता है। ध्यान रहे ब्रिक्स को अब ब्रिक्स प्लस ऑर्गेनाइजेशन बोला जाता है क्योंकि इन पांच देशों के अलावा कुछ अन्य देश भी इस आर्गेनाइजेशन का हिस्सा बन चुके हैं।

(ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)

Source: Economic Times