शेयर बाजार में हलचल मचाने वाले जेन स्ट्रीट इंडेक्स हेरफेर मामले को लेकर अब SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मोर्चा संभाल लिया है। मीडिया और जानकारों के एक हिस्से ने SEBI पर आरोप लगाए थे कि उसने इस हाई-प्रोफाइल मामले में कार्रवाई करने में देर की। लेकिन बुच ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है और कहा है कि जांच काफी पहले से ही शुरू हो चुकी थी।
क्या कहा माधबी पुरी बुच ने?
माधबी पुरी बुच ने एक विस्तृत बयान में कहा कि अप्रैल 2024 से ही SEBI ने जेन स्ट्रीट की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी थी। फरवरी 2025 तक इस पर कई कार्रवाई हुई, जैसे चेतावनी पत्र (Caution Letter) देना, नीति-स्तरीय दखल और NSE के जरिए संघर्ष विराम (Cease and Desist) नोटिस भिजवाना।
उन्होंने कहा, “कुछ लोग तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और एक झूठा नैरेटिव बनाया जा रहा है कि SEBI ने इस मामले को नजरअंदाज किया। जबकि असलियत यह है कि हमने बहुत पहले से कार्रवाई शुरू कर दी थी।”
क्या थी असली टाइमलाइन?
बुच ने SEBI के 3 जुलाई 2025 के उस अंतरिम आदेश का जिक्र किया जिसमें पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन साफ तौर पर दर्ज है।
उनके मुताबिक:
- अप्रैल 2024 में जेन स्ट्रीट की संदिग्ध ट्रेडिंग गतिविधियां पहली बार पकड़ी गईं।
- उसी समय चेतावनी पत्र जारी किया गया ताकि वो कुछ ट्रेडिंग पैटर्न अपनाने से बचें।
- अक्टूबर 2024 में नीति-स्तरीय दखल दिया गया।
- फरवरी 2025 में NSE के जरिए संघर्ष विराम का निर्देश भेजा गया।
- इस बीच, जांच के लिए एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम भी बनाई गई जिसने तकनीकी डेटा खंगाला और विस्तृत निष्कर्ष पेश किए।
SEBI ने देरी की या सही वक्त पर एक्शन लिया?
बुच ने कहा कि SEBI की कार्रवाई बिल्कुल तय वक्त और नियमों के मुताबिक हुई है। “जांच बहुत ही जटिल थी क्योंकि इसमें जेन स्ट्रीट द्वारा अपनाई गई जटिल ट्रेडिंग स्ट्रैटजी और स्ट्रक्चर शामिल थे। SEBI ने हर डेटा को अच्छे से वेरीफाई और एनालाइज किया।”
जवाब में क्या कहा जेन स्ट्रीट ने?
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने SEBI के आरोपों को “बेहद भड़काऊ” बताया। कंपनी ने अपने लगभग 3,000 कर्मचारियों को भेजे गए एक इंटरनल मेमो में कहा कि वे इन आरोपों का खंडन करने के लिए औपचारिक प्रतिक्रिया तैयार कर रहे हैं।
क्यों बना ये मामला हाई-प्रोफाइल?
जेन स्ट्रीट अमेरिका की जानी-मानी ट्रेडिंग फर्म है और इस पर भारत में इंडेक्स हेरफेर जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। जब ये मामला मीडिया में सामने आया, तब से यह बाजार और राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
अब जब SEBI की तरफ से क्रोनोलॉजी और कार्रवाई के तथ्य सामने आ चुके हैं, तो यह बहस और तेज हो गई है कि क्या सचमुच देरी हुई या फिर एक नियोजित कार्रवाई के तहत सब कुछ हुआ।
Source: Mint