जेन स्ट्रीट ने धोखेबाजी की या भारतीय शेयर बाजार का सिस्टम ही ढीला है?

भारत के डेरिवेटिव मार्केट में छोटे से लेकर बड़े खिलाड़ियों तक की कहानी अब एक बड़े सवाल पर आकर टिक गई है- क्या वाकई आम निवेशक सुरक्षित हैं? सेबी की हालिया जांच में सामने आए खुलासे ने न सिर्फ वॉल स्ट्रीट की बड़ी कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) को झटका दिया है, बल्कि देश के करोड़ों खुदरा निवेशकों की उम्मीदों को भी झकझोरा है।

जेन स्ट्रीट पर सेबी की सर्जिकल स्ट्राइक

3 जुलाई 2025 को सेबी ने जो अंतरिम आदेश जारी किया, वह भारतीय बाजार के इतिहास में ऐतिहासिक माना जाएगा। जेन स्ट्रीट और उसकी सब्सिडियरीज को भारतीय शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया गया और 4,800 करोड़ की अवैध कमाई जब्त कर ली गई। जेन स्ट्रीट पर बैंक निफ्टी और निफ्टी इंडेक्स के शेयरों में छेड़छाड़ कर के इंडेक्स ऑप्शंस की कीमतों को प्रभावित करने का आरोप है।

मार्केट में जेन स्ट्रीट की साजिश

सेबी ने जेन स्ट्रीट की दो साल की ट्रेडिंग गतिविधियों की जांच की और पाया कि कम से कम 21 दिन कंपनी ने जानबूझकर मार्केट को प्रभावित किया। भारी मात्रा में कैश और फ्यूचर्स सेगमेंट में ट्रेड कर के कीमतों को ऊपर-नीचे किया गया जिससे ऑप्शंस में मोटा मुनाफा हुआ। यह साजिशन किया गया जिसे ‘पंप द डंप’ कहा जा रहा है।

Bank Nifty की संरचना बनी धोखाधड़ी में सहायक

Bank Nifty में कुल 12 स्टॉक्स हैं, जिनमें HDFC और ICICI Bank की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है। जेन स्ट्रीट ने इन्हीं स्टॉक्स पर फोकस किया और महज 1-2 घंटे में 60-70% ट्रेड कर के पूरा इंडेक्स हिला दिया। सवाल उठे कि जब आम निवेशकों के लिए लिमिट्स हैं तो एक विदेशी कंपनी को इतनी छूट कैसे?

खुदरा निवेशकों की हार की कहानी

यूट्यूब देखखर ट्रेडिंग सीखने वाले लाखों निवेशक शेयर बाजार में नए-नए कूदे हैं। वित्त वर्ष 2024 में 42 लाख नए ट्रेडर्स आए, जिनमें से 92% ने औसतन 46,000 का नुकसान उठाया। जेन स्ट्रीट और जैसी बड़ी कंपनियां जहां 33,000 करोड़ कमा रही हैं, वहीं खुदरा निवेशकों को 41,600 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या जुए से भी खतरनाक?

पुणे के चार्टिस्ट दीपक मोहनी कहते हैं, ‘ऑप्शन सेलिंग करने वाले छोटे निवेशक यूट्यूब वीडियोज देखकर खुद को एक्सपर्ट समझ लेते हैं, जबकि वे असल में बड़े खिलाड़‍ियों के आसान शिकार बन जाते हैं।’ ऑप्शंस में 90% छोटे ट्रेडर हारते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है।

बाजार की संरचना और नियामक की भूमिका पर सवाल

सवाल सिर्फ जेन स्ट्रीट का नहीं है, बाजार की संरचना पर भी उंगलियां उठ रही हैं। इंडेक्स में सीमित स्टॉक्स की अधिकता, लिमिट्स का असमान उपयोग, और रेगुलेटरी लूपहोल्स ने इस खेल को आसान बना दिया। एक ट्रेडर ने सुझाव दिया कि हर क्लाइंट के लिए वॉल्यूम आधारित लिमिट्स लागू होनी चाहिए ताकि कोई भी अकेले पूरा बाजार न हिला सके।

कानूनी लड़ाई अभी बाकी है

सेबी ने भले ही पहली बाजी जीत ली हो, लेकिन जेन स्ट्रीट ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कोर्ट में अपनी सफाई देने की तैयारी में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सेबी को यह साबित करना होगा कि ट्रेडिंग में इरादा क्या था- क्या यह सामान्य ट्रेडिंग थी या सुनियोजित धोखा?

Source: Mint