जेन स्ट्रीट घोटाले ने ऑप्शंस प्रीमियम बिज़नेस का 35% खत्म किया, एक्सपायरी डे का टर्नओवर लगातार कम हो रहा है

शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग लगातार लोकप्रिय हुई है और पिछले कुछ सालों में डेरिवेटिव सेंगमेंट में वॉल्यूम इतना बढ़ गया कि छोटे ट्रेडर्स को नुकसान से बचाने के लिए सेबी को कुछ नियम बनाने पड़े और वीकली एक्सपायरी की संख्या सीमित करनी पड़ी. सेबी की सतर्कता से डेरिवेटिव मार्केट में अमेरिकी प्रॉप डेस्क जेन स्ट्रीट का हेरफेर पकड़ में आया.

अमेरिकी ट्रेडिंग दिग्गज जेन स्ट्रीट के खिलाफ सेबी के धमाकेदार बाजार हेरफेर मामले के नतीजों ने भारत के डेरिवेटिव्स इकोसिस्टम को हिलाकर रख दिया है. दुनिया के सबसे बड़े डेरिवेटिव्स एक्सचेंज एनएसई इंडेक्स ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर में एक तिहाई से ज़्यादा की गिरावट आई है, क्योंकि एक्सचेंज के सबसे बड़े प्लेयर्स में से एक ज़ेन स्ट्रीट बाज़ार में नहीं है. एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चला है कि गुरुवार 17 जून को साप्ताहिक एक्सपायरी पर एनएसई ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर सिर्फ़ 39,625.77 करोड़ रुपये रहा, जो जून के औसत एक्सपायरी डे टर्नओवर 60,605 करोड़ रुपये से 35% कम है.
इस महीने एक्सपायरी डे टर्नओवर में लगातार गिरावट आ रही है. 3 जुलाई को एक्सपायरी के 61,511 करोड़ रुपये से पिछले हफ्ते वॉल्यूम गिरकर 45,884 करोड़ रुपये पर आ गया और फिर ताज़ा ट्रेडिंग सेशन में 40,000 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे गिर गया.
इंडेक्स ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर लगाई गई वास्तविक पूंजी और जोखिम उठाने की क्षमता का एक प्रमुख मापक है, जबकि गुरुवार को ऑप्शंस एक्सपायरी का दिन पारंपरिक रूप से सप्ताह का सबसे एक्टिव ट्रेडिंग डे होता है.
सेबी ने इस महीने की शुरुआत में बाजार में हेरफेर के एक मामले में हाई फ्रेक्वेंसी ट्रेड करने वाली दिग्गज कंपनी जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया,जिससे कंपनी के परिचालन के आश्चर्यजनक पैमाने का खुलासा हुआ. सेबी की जांच से पता चला कि जेन स्ट्रीट “लगातार एफएंडओ में ‘कैश के पैरेरल’ सबसे बड़ा जोखिम उठा रही थी. खासकर इंडेक्स ऑप्शन की एक्सपायरी के दिनों में ऐसा अधिक होता था.

जेन स्ट्रीट के भविष्य को लेकर बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है. सेबी की जांच में एक जटिल हेरफेर योजना का खुलासा हुआ है जिसमें जेन स्ट्रीट ने कथित तौर पर कैश इक्विटी, स्टॉक फ्यूचर्स और इंडेक्स फ्यूचर्स सेगमेंट का इस्तेमाल कीमतों को प्रभावित करने के लिए किया और इन सेगमेंट में घाटा उठाकर ऑप्शन सेगमेंट में कहीं ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया.

Source: Economic Times