पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ताज़ा सर्कुलर जारी किया है जिसके अनुसार स्टॉक मार्केट रिसर्च से जुड़े लोगों से आवश्यक National Institute of Securities Markets (NISM) एनआईएसएम (राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान) प्रमाण पत्र एक वर्ष के भीतर प्राप्त करना होगा. नसेबी ने कहा कि यह एक वर्ष की अवधि इस सर्कुलर की तारीख से लागू होगी.
नियम और शर्तों के लिए सहमति
इसके अलावा सर्कुलर ने कहा कि संस्थागत निवेशकों को सबसे महत्वपूर्ण नियम और शर्तों (एमआईटीसी) सहित नियमों और शर्तों पर हस्ताक्षरित सहमति देने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि रिसर्च एनालिस्ट (आरए)/रिसर्च इंस्टिट्यूशंस इन शर्तों को उनके साथ साझा और प्रकट करेंगी.
रिसर्च एनालिस्ट और इंस्टिट्यूशंस का रिस्पॉन्स
ये निर्णय स्टॉक मार्केट रिसर्च एजेंसियों और रिसर्च एनालिस्ट/इंस्टिट्यूशन्स से प्राप्त फीडबैक के आधार पर और कंप्लाएंस को आसान बनाने के लिए लिए गए हैं. इसके अलावा, नियामक प्रावधानों के साथ रिसर्च एजेंसियों द्वारा अनुपालन के लिए स्पष्टता और मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु सेबी ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) के रूप में स्पष्टीकरण जारी किए हैं.
इसके तहत सेबी ने कहा कि एक रिसर्च रिपोर्ट में प्रतिभूति बाजार में सामान्य रुझानों से संबंधित संचार, इंडेक्स पर चर्चा या आर्थिक, राजनीतिक या बाजार की स्थितियों पर टिप्पणियां शामिल नहीं होती हैं,इसलिए स्टॉक मार्केट की सिर्फ रिपोर्टिंग करने के लिए ज़रूरी नहीं कि सेबी रजिस्ट्रेशन लिया जाए.
इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि रिसर्च रिपोर्टों में म्यूचुअल फंड या ऑप्शनल फंड निवेश फंड के यूनिट धारकों, या पोर्टफोलियो प्रबंधकों और निवेश सलाहकारों के ग्राहकों के लिए तैयार की गई आवधिक रिपोर्टें, वर्तमान या संभावित ग्राहकों के साथ साझा नहीं किए गए आंतरिक संचार, कंपनियों के वित्तीय आंकड़ों की न्यूमेरिक समरी और किसी क्षेत्र या सूचकांक में मांग और आपूर्ति से संबंधित तकनीकी विश्लेषण शामिल नहीं हैं.
सेबी ने आगे स्पष्ट किया कि समाचार पत्रों या टेलीविजन जैसी मीडिया एजेंसियों में कार्यरत पत्रकारों को सेबी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक नहीं है. हालांकि यदि वे सिक्योरिटी या सार्वजनिक प्रस्तावों पर सिफारिशें या राय देते हैं तो ऐसी सिफारिशें रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट या रिसर्च रिपोर्ट जारी करने की अनुमति प्राप्त अन्य सेबी-रजिस्टर्ड व्यक्ति या संस्था की रिसर्च रिपोर्टों पर आधारित होनी चाहिए.
Source: Economic Times