अगस्त माह के पहले पखवाड़े में एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार के आठ सेक्टर में 31,889 करोड़ रुपये की बिकवाली की जिनमें फाइनेंस और आईटी स्टॉक का प्रमुख योगदान रहा. अमेरिकी टैरिफ संबंधी चिंताओं और जून तिमाही के सुस्त नतीजों के कारण विदेशी निवेशक बाजार से दूर हो गए.एफआईआई की सेलिंग के ये आंकड़े चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर व्यापक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों की घोषणा से पहले के हों, लेकिन एफआईआई ने इसके बाद भी बिकवाली बंद नहीं की है. हालांकि ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि जीएसटी रिफॉर्म के सेक्टर वाइस स्लैब तय होने की दशा एफआईआई बाज़ार में लौट सकते हैं.
अगस्त के पहले पखवाड़े में फाइनेंशियल सेक्टर में एफआईआई ने 13,471 करोड़ रुपये की निकासी की. इसके बाद आईटी स्टॉक 6,380 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जिन्हे एफआईआई ने लगातार बेचा. ऑइल एंड गैस सेक्टर में 4,091 करोड़ रुपये, पावर में 2,358 करोड़ रुपये और हेल्थ सर्विस में 2,095 करोड़ रुपये की बिकवाली देखी गई. रियल्टी, एफएमसीजी और ड्यूरेबल कंज़्यूमर गुड्स भी इस सूची में शामिल हो गए, जिनमें से प्रत्येक में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हुई.
कुल मिलाकर एफआईआई ने अगस्त के पहले पखवाड़े में 20,976 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे, जिससे जुलाई की गिरावट बढ़ गई और इस साल कुल निकासी लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गई. एफआईआई की यह बिकवाली अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की 50% टैरिफ की आश्चर्यजनक घोषणा और घरेलू स्तर पर कमजोर आय के प्रति विदेशी निवेशकों के रुझान को स्पष्ट करती है.
जीएसटी रिफॉर्म के कारण एफआईआई बाज़ार में लौट सकते हैं
ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि जीएसटी सुधारों के दौरान एफआईआई बाज़ार में फिर खरीदारी शुरू कर सकते हैं. जेफरीज़ ने 13 अगस्त को कहा कि एफपीआई की पोज़ीशन निचले स्तर के करीब है और भारत में निवेश “दशक के निचले स्तर” पर है. ब्रोकरेज ने आगे कहा कि मजबूत घरेलू निवेश बड़ी गिरावट से सुरक्षा और धारणा को बढ़ावा” देता है, हालांकि उसने आगाह किया कि यह उछाल “लंबे समय तक कायम नहीं रह सकता.
मोतीलाल ओसवाल ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने के वादे, एसएंडपी रेटिंग में सुधार और अमेरिकी टैरिफ पर रोक को ऐसे कारकों के रूप में इंगित किया जो “भारतीय इक्विटी बाजार में बाइंग सेंटीमेंट्स को फिर से जगा सकते हैं.
एफआईआई सतर्क ज़रूर हैं, लेकिन बाज़ार में निवेश्कों की राहत के लिए नीतिगत निर्णय होने पर वे बाज़ार में लौट सकते हैं.
Source: Economic Times