ब्रोकरेज फर्म IIFL के अनुसार, बंद के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
कारोबारी साल में पीक पावर की कमी का न होना और केंद्र सरकार की ओर से मुंद्रा टैरिफ मुद्दे का लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन खोजने की इच्छा जताना है. प्लांट बंद होने से Tata Power के इस कारोबारी साल के प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) अनुमान में 5% से 8% तक का नुकसान होने का आंकलन किया गया है. कंपनी के लिए प्लांट बंद रहने के हर महीने पर लगभग ₹100 करोड़ से ₹150 करोड़ की कमाई में नुकसान संभव है.
हालांकि, सेल-मॉड्यूल बिक्री और रूफटॉप सोलर इंस्टालेशन से होने वाली कमाई में इजाफे के कारण मुंद्रा के बंद से होने वाले नुकसान को आंशिक रूप से पूरा किया जा सकेगा. एक्सिस कैपिटल ने बताया कि Tata Power के मैनेजमेंट को उम्मीद है कि निकट भविष्य में मुंद्रा पावर खरीद समझौते (PPA) से जुड़ी परेशानी का स्थायी सॉल्यूशन मिल जाएगा. अगर वर्तमान बंदी एक से डेढ़ महीने से कम रहती है तो कंपनी प्लांट उपलब्धता कारक (PAF) से जुड़े शुल्क वसूल सकती है.
जेएम फाइनेंशियल का अनुमान है कि Tata Power गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित पांच लाभ उठाने वाले राज्यों के साथ PPAs को अंतिम रूप देगा. मुंद्रा प्लांट ने पिछले कारोबारी सालों में प्लांट लोड फैक्टर (PLF) में क्रमशः 25%, 32%, 56% और 65% का प्रदर्शन किया है. टीवी चैनल CNBC-TV18 ने Tata Power और ऊर्जा मंत्रालय से इस विषय पर टिप्पणी मांगी है, जिनका जवाब अभी आना बाकी है.
आर्थिक बाजार में मंगलवार को Tata Power के शेयर 10.20 बजे सुबह 0.57% की गिरावट के साथ ₹399.6 पर कारोबार कर रहे थे. पिछले 6 महीनों में 11.44% की बढ़त दर्ज की है.
एनालिस्ट्स के अनुसार, सेक्शन 11 का रिन्यूएबल न होने से आयातित कोयले पर आधारित पावर प्लांटों के ऑपरेशन में अनिश्चितता बढ़ी है, जिससे Tata Power की कारोबारी योजनाओं पर असर पड़ा है. फिर भी, कंपनी के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में बढ़ते निवेश और अन्य क्षेत्रों में सुधार से उसे डिविडेंड की संभावनाएं हैं. मुंद्रा पावर प्लांट बंद होने के बावजूद Tata Power के दीर्घकालीन विकास के लिए उम्मीदें बनी हुई हैं.
Source: CNBC