एक्वाफिना, बिसलेरी… पानी बेचकर करोड़ों कमा रहे हैं लोग, कितना बड़ा है मार्केट? जानकर हो जाएंगे हैरान

पानी, जो कभी मुफ्त और आसानी से मिलता था, आज एक बड़ा बिजनेस बन चुका है। भारत में बोतलबंद पानी का मार्केट लगातार बढ़ रहा है और आने वाले सालों में इसकी रफ्तार और तेज होगी।

आज बोतलबंद पानी सिर्फ प्यास बुझाने का साधन नहीं, बल्कि हेल्थ और स्टाइल का हिस्सा बन गया है। जहां देश के कई हिस्सों में लोग साफ पानी के लिए जूझ रहे हैं, वहीं शहरों में लोग मिनरल वाटर की बोतलों पर अच्छे-खासे पैसे खर्च कर रहे हैं। मैक्सिमाइज मार्केट रिसर्च के अनुसार, पिछले पांच साल में भारत का पैकेज्ड वाटर मार्केट 40–45% बढ़ा है। इसकी वजह है बढ़ती आमदनी, हेल्थ अवेयरनेस और नल के पानी पर भरोसे की कमी।

मार्केट का साइज और ग्रोथ

भारत दुनिया के टॉप 10 बोतलबंद पानी इस्तेमाल करने वाले देशों में शामिल है, लेकिन यहां एक व्यक्ति साल में औसतन 5 लीटर पैक्ड पानी पीता है, जबकि दुनिया का औसत 24 लीटर है। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत का बाजार 2023 में 3,792.39 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जो 2030 तक 8,922 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

कोविड का असर और नई रणनीतियां

कोविड-19 के दौरान होटल, रेस्टोरेंट, ऑफिस और हवाई यात्राओं से होने वाली बिक्री लगभग खत्म हो गई थी। इस इंडस्ट्री का करीब 80% हिस्सा अन-ऑर्गनाइज्ड है, जिसमें उस समय 30% से अधिक गिरावट आई।

अब पर्यटन दोबारा पटरी पर आ रहा है, लेकिन रिटेल सेल्स अभी भी कमजोर हैं। ऐसे में कंपनियां सीधे ग्राहकों तक पहुंचने के नए तरीके अपना रही हैं। बिसलेरी, एक्वाफिना और बैली जैसे ब्रांड अब होम डिलीवरी कर रहे हैं। OwO टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियां ऐप के जरिए ऑर्डर ले रही हैं, जिससे नकली पानी की समस्या पर भी कुछ हद तक काबू पाया जा रहा है।

क्यों बढ़ रही है डिमांड?

भारत पानी के प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है, लेकिन बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन, औद्योगीकरण और सप्लाई सिस्टम की खराब स्थिति के कारण पानी की कमी गंभीर होती जा रही है। इस कमी ने बोतलबंद पानी के कारोबार के लिए नए अवसर पैदा किए हैं।

आजकल लोग बाहर निकलते समय बोतलबंद पानी खरीदना ज्यादा सुविधाजनक मानते हैं, क्योंकि नल का पानी हर जगह सुरक्षित नहीं होता। यात्रा, ऑफिस, स्कूल-कॉलेज और आयोजनों में इसकी खपत सबसे ज्यादा है।

क्या है चैलेंजेज?

हर उभरते बिजनेस की तरह, इस इंडस्ट्री के भी अपने चैलेंज हैं। कमजोर ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, आसान मार्केट एंट्री से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, ब्रांड को अलग पहचान देना और प्लास्टिक कचरे के कारण पर्यावरणीय विरोध, ये इस इंडस्ट्री की मुख्य चुनौतियां हैं।

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर मॉडल में मुनाफा औसतन 10% है, जबकि कोल्ड ड्रिंक्स में यह 50% तक होता है। ऊपर से डिलीवरी लागत और लॉजिस्टिक मुश्किलें इसे सीमित करती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब लोग बाहर निकलना शुरू करेंगे, तो पानी की बोतल खरीदना फिर से ‘इंस्टेंट डिसीजन’ बन जाएगा।

नकली बोतलबंद पानी की समस्या

भारत में नकली पैकेज्ड वॉटर, खासकर 1-लीटर बोतलों में, एक बड़ी समस्या है। रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और भीड़भाड़ वाली जगहों पर पुरानी PET बोतलों में पानी भरकर बेचा जाता है।

गांव-कस्बों में इस बिजनेस का बड़ा हिस्सा अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में है, जहां कई बार बिना लाइसेंस के उत्पादन होता है। 2017-18 में फूड सेफ्टी अधिकारीयों ने देशभर में 1,123 सैंपल की जांच की, जिनमें से 496 सैंपल भारत के बड़े फूड रेगुलेटर FSSAI के तय क्वालिटी स्टैंडर्ड पर फेल हो गए।

इंटरनेशनल कंपनियों का दबदबा

भारत में पैकेज्ड वॉटर का बिजनेस पार्ले के बिसलेरी से शुरू हुआ, लेकिन अब कोका-कोला, पेप्सी, नेस्ले जैसे ग्लोबल ब्रांड और माउंट एवरेस्ट, किंगफिशर जैसे नेशनल ब्रांड बाजार पर हावी हैं।

मार्केट शेयर में बिसलेरी 40.02% के साथ नंबर वन है, इसके बाद किनले (28.3%) और एक्वाफिना (19.1%) हैं।

सबसे ज्यादा बिकता है प्योरिफाइड वाटर

भारत के बोतलबंद पानी के मार्केट में सबसे बड़ा हिस्सा प्योरिफाइड वाटर का है, जो 2024 में 40% से ज्यादा मार्केट शेयर पर काबिज रहा और आने वाले सालों में भी लीड बनाए रखेगा। दूसरी तरफ, स्पार्कलिंग वाटर की डिमांड सबसे तेजी से (7.4%) बढ़ रही है, क्योंकि लोग कोला जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स की जगह हेल्दी ऑप्शन चाह रहे हैं। फ्लेवर्ड वाटर भी धीरे-धीरे पॉपुलर हो रहा है।

ऑफ-ट्रेड चैनल की पकड़ सबसे मजबूत

बिक्री का सबसे बड़ा हिस्सा (85.6%) ऑफ-ट्रेड चैनल से आता है, जिसमें सुपरमार्केट, किराना दुकानें, और मिनी मार्केट शामिल हैं। यहां लोग आसानी से अपना पसंदीदा ब्रांड चुन सकते हैं।

भारत में बोतलबंद पानी का क्षेत्रवार हाल

भारत में बोतलबंद पानी की खपत अमीरी और सुविधाओं से जुड़ी है। मार्केट का करीब 40% हिस्सा पश्चिम भारत के पास है, खासकर गुजरात में, जहां 300 से ज्यादा लोकल और प्राइवेट कंपनियां पानी के पाउच और बोतल बनाती हैं। लेकिन असली बॉटलिंग हब दक्षिण भारत है, जहां आधे से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं।

2024 में मुंबई सबसे आगे रहा, जहां 1,190 मिलियन लीटर पैकेज्ड पानी पिया गया। इसके बाद दिल्ली 1,036 मिलियन लीटर के साथ दूसरे नंबर पर रही।

पानी संकट की चेतावनी

अगर पानी प्रबंधन सुधरा नहीं तो अगले 20 साल में भारी संकट आ सकता है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पानी की मांग, उपलब्धता से ज्यादा हो जाएगी। भारत के डैम सिर्फ 200 क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति पानी स्टोर कर सकते हैं, जबकि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में यह 5,000 क्यूबिक मीटर तक है। यहां तक कि हम सिर्फ 30 दिन का बारिश का पानी रोक पाते हैं, जबकि अमीर देशों के सूखे इलाकों में 900 दिन तक का स्टोरेज संभव है।

इंडिया के वॉटर बिजनेस के बड़े खिलाड़ी:

Bisleri

भू‍मि पेडनेकर का ‘बैकबे’ वॉटर

हाल ही में एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर और उनकी बहन समीक्षा ने ‘Backbay’ नाम से प्रीमियम वॉटर ब्रांड लॉन्च किया है। हिमाचल में तैयार होने वाला ये नैचुरल मिनरल वॉटर 150 (500ml) और 200 (750ml) में मिलता है।

Source: Mint