इन स्टॉक में बना बेहतरीन कॉम्बिनेशन : प्रमोटर, एफआईआई और डीआईआई तीनों ने इन 21 स्टॉक में हिस्सेदारी बढ़ाई

शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव चल रहा है लेकिन स्टॉक स्पेसिफिक एक्शन का महत्व बना हुआ है. कुछ स्टॉक में ऐसा देखने को मिला है कि प्रमोटर्स, एफआईआई, डीआईआई तीनों ने हिस्सेदारी बढ़ाई है या फ्रेश बाइंग की है. ये एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन है, जिसमें मार्केट के तीन बड़े प्लेयर्स स्टॉक में एक्टिव हैं.

हालांकि इनमें से कुछ स्टॉक में धीमी ग्रोथ है लेकिन इन स्टॉक में यह मज़बूत संकेत है कि प्रमोटर्स के साथ बड़े निवेशक स्टॉक में पोज़ीशन ले रहे हैं.आने वाले दिनों में इनमें से कुछ स्टॉक में तेज़ी आ सकती है.
21 ऐसे स्टॉक मिले हैं, जिनमें प्रमोटरों, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के एकजुट विश्वास से ज़्यादा प्रभावशाली संकेत कम ही होते हैं. जून तिमाही में 21 कंपनियों ने इस ट्रिनिटी का यह विश्वास हासिल किया.
जब ये तीनों किसी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते हैं तो आमतौर पर इसका मतलब होता है कि उन्हें उसके बिज़नेस, डेवलपमेंट स्टोरी और लॉन्ग टर्म वैल्यू पर विश्वास है. ऐसा कहा जा सकता है कि निवेशक आकर्षक कीमतों के कारण चुपचाप ज़्यादा शेयर खरीद रहे हैं.
ऑटोलाइन इंडस्ट्रीज में प्रमोटरों की शेयर होल्डिंग पहली तिमाही में 343 आधार अंकों तक बढ़ी, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने अपनी हिस्सेदारी में 500 आधार अंकों की उल्लेखनीय ग्रोथ की. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भी अपनी हिस्सेदारी थोड़ी-बहुत बढ़ाई. हालांकि केवल 5 आधार अंकों की मामूली ग्रोथ हुई. हालांकि 2025 में अब तक यह शेयर 35% गिर चुका है.
ज़ी मीडिया कॉर्पोरेशन (वर्ष-दर-वर्ष 30% की गिरावट) में प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी 228 आधार अंकों तक बढ़ाई. साथ ही घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की हिस्सेदारी में 50 आधार अंकों की ग्रोथ और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की ओर से 232 आधार अंकों की उल्लेखनीय ग्रोथ भी हुई.
इस बीच नाहर पॉली फिल्म्स में इस वर्ष 15% की बढ़त हासिल की है. प्रमोटरों ने 2 बीपीएस हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि एफआईआई और डीआईआई ने क्रमशः 7 बीपीएस और 30 बीपीएस हिस्सेदारी बढ़ाई.

जून तिमाही में जिन अन्य शेयरों ने इन तीनों की रुचि आकर्षित की,उनमें जिंदल स्टील एंड पावर, रेन इंडस्ट्रीज, धामपुर शुगर मिल्स, अंबिका कॉटन मिल्स और आवास फाइनेंसर्स शामिल रहे.

Source: Economic Times