आज MCX और IEX के शेयरों में क्यों है जोरदार रैली, SEBI के इस एलान से बढ़ा एक्शन

आज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) के शेयरों में 3.6% की तेजी दर्ज की गई. बीएसई पर कारोबार के दौरान शेयर 7,694 रुपये के हाई लेवल तक पहुंचा. इसी तरह, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयरों में भी 4.3% की तेजी देखी गई और यह 211.10 रुपये प्रति शेयर तक चढ़ गया.

सुबह 9:32 बजे तक बीएसई पर MCX के शेयर 3.64% की बढ़त के साथ 7,689.45 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे, जबकि IEX के शेयर 3.61% की तेजी के साथ 209.55 रुपये पर कारोबार कर रहे थे. इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 0.30% की तेजी के साथ 82,438.57 अंक पर था.

पिछले एक साल में MCX ने 103% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है, जबकि IEX ने 22% की बढ़त दर्ज की है. इसकी तुलना में सेंसेक्स में केवल 7% की बढ़त देखी गई है.

SEBI ने दी MCX को बिजली डेरिवेटिव्स लॉन्च करने की मंजूरी

MCX और IEX के शेयरों में आई यह तेजी तब देखी गई जब मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने MCX को इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च करने की अनुमति दे दी. MCX की रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा गया कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (MCX), जो भारत का अग्रणी कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज है, को सेबी से बिजली डेरिवेटिव्स शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. यह भारत के ऊर्जा व्यापार परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है.

MCX द्वारा शुरू किए जाने वाले इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स बिजली उत्पादकों, वितरण कंपनियों और बड़े उपभोक्ताओं को कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाव और मूल्य जोखिम प्रबंधन में मदद करेंगे. यह भारत के बिजली बाजार को अधिक कुशल और स्थिर बनाने की दिशा में अहम कदम होगा.

IEX के लिए इसका क्या मतलब है?

अब तक IEX भारत के शॉर्ट टर्म इलेक्ट्रिसिटी मार्केट में अग्रणी भूमिका निभाता आया है, जहां मुख्य रूप से फिजिकल पावर ट्रेडिंग होती है. MCX की इस नई एंट्री के साथ बिजली के लिए एक नया फाइनेंशियल मार्केट तैयार होगा, जहां बिजली की कीमतों पर आधारित फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का कारोबार किया जाएगा.

हालांकि, IEX की ताकत फिजिकल डिलीवरी यानी बिजली की वास्तविक आपूर्ति में है—जैसे कि यूटिलिटीज, डिस्कॉम्स और इंडस्ट्रीज़ के लिए. वहीं, MCX जो डेरिवेटिव्स लॉन्च करेगा, वे वित्तीय उपकरण (Financial Instruments) होंगे, जिनका उद्देश्य कीमतों के जोखिम का प्रबंधन है, न कि बिजली की डिलीवरी.

इससे जहां एक तरफ निवेशकों को नया अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ यह पावर सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को भी बढ़ावा देगा.

Source: Financial Express