अनिल अग्रवाल की Vedanta का Q1 में प्रॉफिट गिरा, लेकिन रेवेन्यू में मिली बढ़त, स्टॉक में रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी भी बढ़ी

नई दिल्ली: अनिल अग्रवाल की माइनिंग कंपनी वेदांता का स्टॉक शुक्रवार को निवेशकों की रडार पर रहेगा, क्योंकि कंपनी ने गुरुवार को अपना क्वार्टर रिजल्ट घोषित किया है. इस क्वार्टर रिजल्ट में कंपनी ने बताया कि उसे प्रॉफिट में नुकसान हुआ लेकिन रेवेन्यू में बढ़त देखने को मिली. गुरुवार को दिन के आख़िर तक स्टॉक लाल निशान पर ट्रेड कर रहा था और 2.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 424 रुपये के लेवल पर बंद हुआ.

क्वार्टर रिजल्ट

कंपनी ने बताया कि जून 2025 की तिमाही के लिए उसका कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 11.7 प्रतिशत घटकर 3,185 करोड़ रुपये रह गया. हालांकि कंपनी को रेवेन्यू के फ्रंट पर मुनाफा हुआ. कंपनी ने बताया कि उसका ऑपरेशन से रेवेन्यू सालाना आधार पर 5.75 प्रतिशत बढ़कर 37,824 करोड़ रुपये हो गया. जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 35,764 करोड़ रुपये था.
इस तिमाही का नेट प्रॉफिट पिछले वर्ष की इसी तिमाही के 3,606 करोड़ रुपये के बराबर है. यह प्रॉफिट कंपनी के मालिकों के खाते में गया है.
पिछली तिमाही की तुलना में, कंपनी का प्रॉफिट 8.5% कम हो गया, जो पिछली तिमाही में दर्ज 3,483 करोड़ रुपये से कम है.
अपनी प्रेस रिलीज में, वेदांता ने कहा कि उसका नेट डेब्ट, EBITDA की तुलना में 1.3 गुना है, जो दर्शाता है कि उसका लोन लेवल कंट्रोल में है. कंपनी की क्रेडिट रेटिंग AA निर्धारित की गई है, जिसका मतलब है कि यह वित्तीय रूप से स्थिर है. अनिल अग्रवाल के नेतृत्व में, वेदांता ने पहली तिमाही में 10,746 करोड़ रुपये का अपना अब तक का सर्वोच्च EBITDA भी दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5% अधिक है. इस बढ़ोतरी में प्रॉफिट मार्जिन में सुधार का भी योगदान रहा, जो 81 बेसिस प्वॉइंट्स बढ़कर 35% हो गया.
वेदांता के लांजीगढ़ प्लांट ने इस तिमाही में 587 हज़ार टन (kt) एल्युमिना का प्रोडक्शन किया, जो अब तक का सर्वाधिक प्रोडक्शन है और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9% अधिक है. इससे कंपनी वित्तीय वर्ष 2025-26 में रिकॉर्ड 30 लाख टन (MMT) एल्युमिना प्रोडक्शन तक पहुँचने की राह पर है. इसके अलावा, इस वर्ष अब तक, वेदांता ने खुले बाजार (मर्चेंट पावर) में बिक्री के लिए 950 मेगावाट (MW) की नई बिजली उत्पादन क्षमता शुरू (चालू) कर दी है, जिससे इसकी कुल मर्चेंट पावर क्षमता 3.83 गीगावाट (GW) हो गई है.
अपने जिंक इंडिया बिजनेस में, वेदांता ने पहली तिमाही में 265 हज़ार टन (किलो टन) माइन्ड मेटल का अब तक का सबसे ज़्यादा प्रोडक्शन किया, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 1% ज़्यादा है. इसके अलावा, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की प्रोडक्शन कोस्ट इस तिमाही में सबसे कम, 1,010 डॉलर प्रति टन रही, जो पिछले साल की तुलना में 9% कम है.
ऑयल एंड गैस सेगमेंट में, वेदांता ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 93.2 हज़ार बैरल तेल प्रतिदिन (kboepd) का प्रोडक्शन किया. प्रोडक्शन में कमी इसलिए आई क्योंकि एमबीए तेल सेगमेंट समय के साथ स्वाभाविक रूप से कम प्रोडक्शन कर रहे हैं. हालाँकि, ऐश्वर्या, एबीएच और सैटेलाइट क्षेत्रों में नए कुओं के शुरू होने से इस गिरावट की आंशिक रूप से भरपाई हो गई है.

रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ी

जून 2025 की तिमाही में स्टॉक में रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़ी है. ट्रेंडलाइन के मुताबिक, कंपनी में इस तिमाही रिटेल इंवेस्टर्स की 11.64 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. जबकि मार्च 2025 की तिमाही में कंपनी में रिटेल इंवेस्टर्स की हिस्सेदारी 11.25 प्रतिशत थी.

Source: Economic Times